जेरेमिया (येरेमिया) बाइबिल के पूर्वाद्ध में सात व्यक्तियों का नाम जेरेमिया है किंतु उनमें से अनाथोथ के नबी (६५०-५८७ ईo पूo) प्रमुख हैं। यह जोशीया के राज्यकाल में लगभग ६२६ ईo पूo ईश्वर की प्रेरणा से येरुसलेम में नबूवत करने लगे। बारूक उनका ईमानदार सखा था।

जेरेमिया के उपदेशों का सारांश यह था कि यदि यहूदिया के लोग धर्म की उपेक्षा करते रहेंगे तो वे निश्चय ही नष्ट किए जाएँगे। उन्होंने राजा सेदेकियाह को यह परामर्श दिया कि वह बाबुल (Babylonia) का आधिपत्य ईश्वर की इच्छा समझकर स्वीकार करें और मिस्र की सहायता से बाबुल का विरोध न करें। ५८७ ईo पूo बाबुल की सेना ने यहूदिया पर अधिकार कर लिया और येरुसलेम तथा उसके मंदिर को नष्ट कर दिया१ उच्च वर्ग के लोगों को बाबुल में निर्वासित कर दिया गया। येरुसलेम के अवरोध के समय जेरेमिया को अपने विरोधियों से बहुत कष्ट सहना पड़ा। अपनी विजय के बाद बाबुल के अधिकारियों ने जेरेमिया को कैद से रिहा किया और उनके मित्र गदल्या को राजयपाल बना दिया। बाद में मिस्र के समर्थकों ने गदल्या की हत्या की और जेरेमिया को मिस्र देश में निर्वासित कर दिया। लगता है कि जेरेमिया की साहसपूर्ण जीवनयात्रा पराजय पर समाप्त हुई किंतु धार्मिक क्षेत्र में उनका गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने सिखलाया कि मुक्ति का कार्य सांसारिक सफलता पर निर्भर नहीं होता। उनकी तीन रचनाएँ मानी जाती है--नवूबतों का ग्रंथ, एक पत्र और विलापगीत।

संo ग्रंo -- हाग, बीबल लेक्सिकोन, कोलोन १९५७। [o वेo]

जेरोबोआम (येरोबआम) जेरोबोआम प्रथम (९२९-९०९ ईo पूo) इसराएल के सर्वप्रथम राजा थे। वह एफ्राईम वंश के सदस्य थे और प्रारंभ में सुलेमान को सहयोग देते थे। बाद में जब जनता सुलेमान के भारी राज करों का विरोध करने लगी, जेरोबोआम ने उस विद्रोह का समर्थन किया जिससे उनको मिस्र में भाग जाना पड़ा। सुलेमान के मरण के पश्चात् फिलस्तीन लौट कर उन्होंने इसराएल नामक एक नए राज्य की स्थापना की जिसमें उत्तर के दस वंश सम्मिलित हो गए। दक्षिण के दो वंशों ने यहूदिया नामक राज्य स्थापित किया। (इब्रानी जाति बारह वंशों में विभक्त थी)। इस प्रकार सुलेमान के राज्य के दो अलग भाग हो गए। जेरोबोआम दोनों की धार्मिक एकता भी नष्ट कर देना चाहते थे। येरुसलेम के मंदिर का प्रभाव कम करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने राज्य में मंदिर बनवाए जो मूर्तिपूजा के केंद्र बने और जिनके विरोध में अनेक नबी आवाज उठाकर विनाश की भविष्यद्वाणियाँ करने लगे। ७२२ ईo पूo में असीरिया की सेना ने इसराएल को हराकर लोगों को निर्वासित कर दिया।