जेम्स (१३९४-१४३७) स्काट्लैंड का राजा और राबर्ट तृतीय का एकमात्र पुत्र। जब वह विद्याध्ययन के लिये फ्रांस जा रहा था तो मार्ग में इंगलिश सामुद्रिक छापामारों ने उसे २२ मार्च १४०६ ईo में बंदी बना लिया, तथा हेनरी चतुर्थ के शासन में वह इंग्लैंड के कारागार में १८ वर्ष तक रहा। इसी वर्ष अपने पिता की मृत्यु पर वह स्काट्लैंड का नाममात्र का शासक बना। उसके बंदीकाल में स्काटलैंड का शासन उसके चाचा ड्यूक और अल्बनी के हाथ में था। १४२४ ईo में अच्छी धनराशि के बदले स्काटलैंड निवासियों द्वारा मुक्त कराया गया। सोमरसेट के ड्यूक की कन्या ज़ेनब्यूफर्ट जेम्स का विवाह १४२४ ईo में और उसी वर्ष उसका राज्याभिषेक भी हुआ। जेम्स ने राजनीतिक एवं वैधानिक सुधारों का उपयोग कर एक वैधानिक राजतंत्र का सूत्रपात किया। विद्रोही सामंतों के प्रति कठोर कदम उठाए तथा अल्बनी के नए ड्यूक को अपदस्थ किया। शक्तिशाली शासक होने के कारण उसके शत्रु अधिक हो गए। सर राबर्ट ग्रैहम ने २१ फरवरी १४३३ ईo को उसका वध कर डाला क्योंकि जेम्स ने उसे निष्कासन का दंड दिया था। जेम्स की ख्याति उसकी काव्यरचना पर भी अंशत: निर्भर करती है। द् किंग्स क्वैर उसकी प्रसिद्ध रचना हैं।
जेम्स-प्रथम -- १५६६-१६२५--ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैंड का शासक (१६०३-२५) जो जेम्स षष्ठ (१५२७-१६२५) के नाम से स्काटलैंड का शासक भी था। वह मेरी स्काट तथा उसके द्वितीय पति लार्ड डार्नले की एकमात्र संतान होने के साथ साथ वह हेनरी सप्तम की पुत्री मार्गरेट का पौत्र था। स्काटलैंड के शासक की स्थिति से उसने सांमतों की शक्ति को विघटित किया था। डेनमार्क की ऐन से उसने १५८९ ईo विवाह किया। १६०३ ईo में इंग्लैंड का शासक होने पर इंग्लैंड और स्काटलैंड दोनों राजसत्ताओं को एक किया। अत्यधिक विद्वान तथा कौशल हीन होने के कारण उसे क्रिसेन्डम के सबसे बुद्धिमान मूर्ख की उपाधि मिली थी। राजा के दैवी अधिकार का कट्टर पोषक होने के कारण उसने एक चर्चप्रधान राज्य संचालन की नीति अपनाई। प्रारंभिक वर्षों में उसके प्रमुख सलाहकार सैलिसबरी का अर्ल तथा बकिंघम का ड्यूक थे। उसके शासन से राजा तथा संसद् के दीर्घकालीन संघर्ष का प्रारंभ होता है। उसके शासन में सब मिलाकर चार संसदें आयोजित हुईं। यद्यपि जेम्स विधान के अतिक्रमण करने का दोषी नहीं था पर वह उसकी प्रतिष्ठा का सही अनुमान नहीं लगा सकता था। संघर्ष के प्रमुख कारण धर्म, कर व्यवस्था, वैदेशिक नीति थे। बिना पार्लिमेंट की स्वीकृति के जेम्स ने इम्पोजीशन्स नामक टैक्स लगाए। पार्लिमेंट ने राजा के मंत्रियों पर लगाया जानेवाला इम्पीचमेंट का प्राचीन अधिकार पुनर्जीवित किया। जेम्स की वैदेशिक नीति ने जिसका उद्देश्य स्पेन से मैत्रीपूर्ण व्यवहार तथा साधारण शांति स्थापित करना था, उस जनता को अप्रसन्न कर दिया जो तीस वर्षीय युद्ध में यह आशा करती थी कि जेम्स, पैलेटाइन के इलेक्टर फ्रेडरिक की, जो कि उसका दामाद था, सहायता करेगा। अपने पुत्र चार्ल्स का विवाह स्पेन की राजकुमारी से कराने में असफल होने पर जेम्स ने १६२४ ईo में स्पेन के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की। जेम्स ने मध्यम श्रेणी की साहित्यिक रचनाएँ अपने पीछे छोड़ीं।
जेम्स द्वितीय (१६३३-१७०१) ग्रेट ब्रिटेन तथा आयरलैंड का शासक (१६८५-८८)। वह चार्ल्स प्रथम तथा हेनरिटा मेरिया की द्वितीय संतान था। वह १६४३ ईo में आर्क ड्यूक बना था। वह योग्य सैनिक, साहसी एवं दृढ़ निश्चय व्यक्ति था, किंतु उसमें दूरदर्शिता की न्यूनता, धर्मान्धता, तथा अनैतिकता थी। अपने पिता की फाँसी के थोड़े समय ही पूर्व वह हालैंड भागा, फिर फ्रांस चला गया। १६५९ ईo में उसने एन हाइड से विवाह किया जिससे उसकी दो लड़कियाँ मेरी और एन उत्पन्न हुईं, जो आगे चलकर क्रमश: इंग्लैंड की रानी हुईं। उसकी द्वितीय पत्नी मेरी ऑव मांडेना से १८६६ में एक पुत्र हुआ जो ओल्ड प्रिटेंडर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राजतंत्र की पुन: स्थापना के उपरांत जेम्स लॉर्ड हाई ऐडमिरल नियुक्त हुआ। १६८५ ईo में गद्दी पर बैठा और ड्यूक ऑव आरगाइल तथा मनमथ के विद्रोहों को दबाया। कैथालिक के रूप में तथा निरंकुश शासन का संकल्प कर लेने के कारण उसने अपने स्वेच्छानुसार के द्वारा इंग्लैंड के कानूनों का नियमित अतिक्रमण आरंभ किया। जेम्स ने कैथोलिकों का प्रवेश सेना एवं विश्र्वविद्यालयों में कराया। एक स्थायी सेना की रचना के साथ साथ उसने इंग्लैंड के कानूनों को स्थगित एवं रद्द करने का अधिकार ग्रहण किया। उसकी इंडलजेंस की प्रथम घोषणा ने १६८७ ईo में कैथोलिको एवं डिसेंटर्स के विरुद्ध लगाए सारे दंड विधानों को स्थगित कर दिया जिससे एक राष्ट्रीय चेतना फैल गई। उसकी इंडलजेंस की दूसरी घोषणा का विरोध सात बिशपों ने किया जिनपर मुकदमा चलाया गया। जब वे मुक्त किए गए तो लोगों ने करतल ध्वनि द्वारा इसका स्वागत किया। जेम्स के पुत्र उत्पन्न होने पर प्रोटेस्टेंट विलियम ऑव ओरंज, जो जेम्स का दामाद था, इंगलैंड की गद्दी पर बैठने के लिए भी आमंत्रित किया गया। विलियम के आने पर इंगलैंड की सेना भी उसके साथ हो गई और जेम्स फ्रांस भागा। इंगलैंड की गद्दी को पुन: प्राप्त करने के लिए जेम्स ने १६९० ईo में आयरलैंड में एक असफल विद्रोह किया। ६ सितंबर १७०१ ईo को सेंट जर्मेंन में जेम्स की मृत्यु हो गई।