जाहिलिया अरब में इस्लाम के पूर्वकाल के लिये प्रयुक्त होनेवाला शब्द यद्यपि इसका प्रयोग सीमित अर्थो में नहीं हुआ है। प्राय: इस्लाम के अविर्भाव से पूर्वकाल की स्थिति को यह नाम दिया जाता है। जाहिलिया शब्द जाहिल से बना है। गौल्जियर ने जाहिल को असंस्कृत के अर्थ में और जाहिलिया को असंस्कृति की अवस्था के अर्थ में माना है। कुरान के अनुसार ईश्वर और पैगंबर को न माननेवाले के काल का नाम है। साधारण: कुरान के भाष्यकारों ने जाहिल को ईश्वर का अस्तित्व नकारनेवाला समझा है।

जाहिलिया शब्द उस काल के लिये प्रयुक्त होता है जिसमें अरबवासी इस्लाम और देवी सिद्धांत से अपरिचित थे१ कुरान के मतानुसार जाहिलिया दो बार रहा : (१) आदम ओर नोआ के मध्य और (२) मूसा और मुहम्मद के मध्य। फिर भी उस युग के अपने जाहिल पूर्वजों के अनेक गुणों को मुसलमान आदर्श मानते हैं।