जार्विस द्वीप (Jarvis Island) स्थिति : ०० १५' द. अ. तथा १५९० ५५' पू. दे.। यह मध्य प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थित तश्तरी के आकार का छोटा सा द्वीप है। इसका निर्माण बालुकाकणों तथा प्रवालीय चट्टनाओं के संमिश्रण से हुआ है। इसकी पूर्व-पश्चिम दिशावर्ती लंबाई लगभग १.९ मील तथा उत्तर-दक्षिण चौड़ाई एक मील है। महासागरतटीय अग्रिम क्षेत्र के पृष्ठक्षेत्र की ओर खड़ी छाल का लगभग २० फुट ऊँचा डांडा (ridge) द्वीप को चतुर्दिक् घेरे हुए है। पहाड़ी अंतराल क्षेत्र पहले जलमग्न था किंतु अब समुद्रतल से लगभग सात आठ फुट ऊँचा उठ गया है। द्वीप के चतुर्दिक् बाह्येतर क्षेत्र में सँकरी परातटवर्ती प्रवाली शृंखला पाई जाती है। इस द्वीप में गुआनो नामक उर्वरक के जमाव मिलते हैं।
इस द्वीप पर मई, १९३६ में अमरीकियों का अंतरराष्ट्रीय वैधानिक दृष्टि से अधिपत्य घोषित हुआ। द्वीप के पश्चिमी किनारे, छोटी सामुद्रिक नावों के ठहराव के लिये सुरक्षित स्थान हैं। सामरिक एवं राजनीतिक दृष्टि से जार्विस द्वीप महत्वपूर्ण है। अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण दिसंबर, १९४१ में अमरीका-जापान-युद्ध छिड़ जाने पर अमरीका द्वारा न्यूजीलैंड को सामान की पूर्ति करने में जार्विस द्वीप महत्वपूर्ण रहा। (काशी नाथ सिंह)