जार्डन स्थिति : ३१० ०' उ.अ. तथा ३६० ०' पू.दे.। यह अरब प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित एक स्वतंत्र देश है। २६ अप्रैल, १९४९ ई. से पूर्व इसका नाम ट्रैंसजार्डन था। देश की सीमाएँ दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्वं में सऊदी अरब, उत्तर पूर्व में ईराक, उत्तर में सीरिया एवं पश्चिम में इजरायल हैं। क्षेत्रफल ३६, ७१५ वर्ग मील है, जिसमें जार्डन नदी के पश्चिम की २,५०० वर्ग मील भूमि भी सम्मिलित है (यह पहले ब्रिटेन द्वारा संरक्षित क्षेत्र पैलेस्टज्ञइन के अंतर्गत थी), जिसपर इस देश का अधिकार २४ अप्रैल, १९५० ई. से हुआ है।
यह देश जार्डन नदी की घाटी से पूर्व दिशा की ओर फैलकर सीरिया तथा अरब मरुस्थल प्रदेशों से मिल जाता है। देश प्रधानत: पठार है, जिसकी ऊँचाई समुद्रतल से १,५०० से ४,५०० फुट तक है। जो अनेक स्थानों पर गरी घाटियों के रूप में कटा फटा है। जलवायु मुख्यत: उष्ण-मरुस्थलीय है तथा औसत वाषिक वर्षा १०'' से भी कम है। जार्डन नदी के पश्चिम में स्थित प्रदेश के कुछ भाग का जलवायु भूमध्यसागरीय है तथा वार्षिक वर्षा १०'' २०'' तक है।
जार्डन देश की राजधानी ऐम्मैन [जनसंख्या २,४५००० (१९५२)] है जो मृत सागर (डेट सी) से २५ मील उत्तर-पूर्व स्थित है। देश की जनसंख्या १६, ९०, १२३ (डेड सी) से २५ मील उत्तर-पूर्व स्थित है। देश की जनसंख्या १६, ९०, १२३ (सन्१९६१) अनुमानित है, जिसका आधे से कुछ कम भाग इजरायल से आए हुए अरब शरणार्थियों का है। अधिकांश जनता अरब जातीय है। राष्ट्रीय धर्म इस्लाम है। स्थिर जनसंख्या (जिसके अंतर्गत अरबों से भिन्न अन्य सभी जातिवासी आते हैं) जार्डन नदी के पश्चिम भाग में तथा देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में फैली है। अर्धअस्थिरवासी जातियाँ खेतिहर हैं, जो तंबुओं में रहती है तथा ऐम्मैन उच्च प्रदेश, केकर और मान के समीप मिलती हैं। अस्थिरवासी जातियाँ देश के समस्त शेष भाग पर फैली हैं तथा जीविकोपार्जन के निमित्त अपने पशुसमूहों पर निर्भर रहती हैं।
देश की अर्धव्यवस्था मुख्यत: यहाँ के कृषि तथा पशुपालन उद्योगों पर निर्भर है। खाद्यान्न की उपज में देश आत्मनिर्भर है। यहाँ जैतून, अंगूर इत्यादि फलों का उत्पादन होता है। जार्डन नदी का तटीय प्रदेश तथा मृत सागर के पूर्व का भाग कृषि की दृष्टि से अधिक उपजाऊ है। देश के औद्योगिक विकास की गति अब तक सामान्य ही रही है। खनिजों के अन्वेषण की ओर ध्यान दिया गया है। सीमेंट, आटा पीसना, तंबाकू, जैतून से तेल निकालना तथा मछली पकड़ना महत्वपूर्ण उद्योग हैं। (रा.ना.मा.)
इतिहास ¾ साउदी अरब के उत्तर पश्चिम में एक राज्य। इसके उत्तर में सीरिया (शाम) और पश्चिम में इजराएल प्रदेश हैं। ई. पू. ६,०००० की बस्ती के प्रमाण उपलब्ध हुए हैं। प्राचीन इजराएल के एडम, गिलियड और मोआब इसी जार्डन के अंतर्गत थे, जबकि यहाँ ग्रीस और रोम की मिली जुली सभ्यता पनप रही थी। ७ वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण हुए। जार्डन वासियों के अल्प प्रतिरोध के पश्चात् जार्डन वासियों के अल्प प्रतिरोध के पश्चात् जार्डन परतंत्र हो गया और वहाँ इस्लाम का प्रसार द्रुत गति से हुआ। आटोमान राज्य में (१५१७-१८१७) में जार्डन अलग अलग डेमास्कस ओर बेरुत के तुर्को द्वारा शासित था। प्रथम विश्वयुद्ध (१९१८) में अंग्रेजी सेनाओं ने तुर्को को जार्डन के बाहर निकाल दिया और हेजाज के शासक हुसेन इब्न अली का बेटा फैजल राजा हुआ। १९२० में फ्रांसीसियों ने फैजल को पदच्युत किया। किसी प्रकार अंग्रजी की सहायता से फैजल ईराक का शासक हो गया और उसका भाई अब्दुल्ला जार्डन का। १८२८ में राष्ट्रसंघ की मान्यता के साथ साथ ब्रिटेन ने भी जार्डन को अब्दुल्ला इब्न हुसेन के अधिनायकत्व में मान्यता दे दी। १९४६ में अब्दुल्ला इब्द हुसेन के शासकत्व में जार्डन स्वतंत्र घोषित हुआ। यह अरबसंघ का सदस्य बना। १९४८ के फिलिस्तीन युद्ध के पश्चात् सम्राट् ने फिलिस्तीन के पश्चिमी किनारे अपने राज्य में मिला लिए। १९५३ में अब्दुला का पुत्र हुसेन सम्राट् के सिंहासन पर प्रतिष्ठित हुआ। इसके पश्चात् जार्डन ने ग्रेट ब्रिटेन से अपने संबंध बराबर मैत्रीपूर्ण रखे। अरब संघ में संमिलित होने के लिये मिस्र के प्रस्ताव पर देश में भेद उत्पन्न हो गया। १९५५ में सरकार के बगदाद पैक्ट में सम्मिलित करने के विरोध में दंगे भी हुए, किंतु सेना ने स्थिति पर अधिकार कर दिया। राष्ट्रवादियों ने अरब संघ में राज्य को सम्मिलित करने के यथा संभव सभी प्रयत्न किए हैं। सुलेमान नाबुल्सी के प्रधान मंत्रित्व, मिस्र पर इजराएली आक्रमण और स्वेज पर आंग्ल फ्रांसीसी हस्तक्षेप ने राष्ट्रवादियों की शक्ति और बढ़ा दी। इस घटनाओं से जार्डन का संबंध ग्रेट ब्रिटेन से विच्छिद होना स्वाभाविक था। मिस्र, साउदी अरब और सीरिया ने इस संबंधविच्छेद पर अपना मत प्रकट किया। इधर जार्डन के राष्ट्रावादियों ने अपनी कार्यप्रणाली की गति बढ़ा दी। २५ अक्टूबर, १९५६ के समझौते के अनुसार सीरिया, मिस्र ओर जार्डन की कमान मिस्री जनरल के हाथ में थी, इसलिये प्रधान मंत्री नाबुल्सी ने जार्डन की सेना को राष्ट्रवादियों के अधिपत्य में लाना चाहा, इसपर १० अप्रैल १९५७ में शाह हुसेन ने नावुल्सी को सेवा-मुक्त कर दिया।
इसके पश्चात् यद्यपि शाह हुसेन की स्थिति दृढ़ हो गई, किंतु उसे शासनच्युत करने के प्रत्यन्त निरंतर होते रहे। संयुक्त अरब गणतंत्र के निर्माण तथा ऐसी ही कुछ घटनाओं ने जार्डन के शाह का पुन: पश्चिमी सहायता की ओर जाने के लिये बाध्य किया। किसी प्रकार १९५८ के पश्चात् स्थिति कुछ सुधरी। ईराक के शाह कासिम ने सं.अ. गणतंत्र का विरोध किया और वह संधि टूट गई। इन घटनाओं के बाद शाह ने देश की आर्थिक उन्नति की ओर ध्यान दिया। पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश ने प्रगति के पथ पर अग्रसर होना आरंभ किया। पड़ोसी इजराएल से जार्डन की स्थायी शत्रुता स्थापित हो चुकी है। पिछली घटनाओं की गंभीरता ने संबंध सुधारने की कोई आशा नहीं छोड़ी है।