जार्ज लाउडिका सीरिया के लाउडिका का जार्ज एरियन संप्रदाय का अनुयायी, अलेकजैंड्रिया का आर्कबिशप था। कई वर्षो तक इधर उधर भटकते रहने के बाद ३५६ ई. में यह अलेकजैंड्रिया पहुँचा जहाँ आर्कबिशप का स्थान रिक्त था। तत्कालीन एरियन संप्रदाय ने इसकी प्रतिभा से मुग्ध ही इसे आर्कबिशप नियुक्त किया। इस महान् पद पर आरूढ़ होकर इसकी आकांक्षाएँ अब नेतृत्व की ओर गई। अत: इसने द्वितीय सर्मियन सिद्धांत उकसाया ही जो कट्टर एरियनवाद से साम्य खाता था। इस कृत्य ने इसे शीघ्र ही विवादास्पद बना दिया और जैसे जैसे विरोधाग्नि बढ़ती गई, यह दमन नीति का आश्रय लेता गया। शीघ्र ही इसने कट्टरपंथियों का दमन आरंभ किया जिसके परिणामस्वरूप विद्रोह खड़ा हो गया और इसे अपने स्थान से भागना पड़ा। किंतु सेना में इसके कई समर्थक निकल आए तथा उच्च अधिकारियों को इसने अनेक प्रलोभन देकर अपनी ओर मिलाया और सेना की सहायता से इसका अधिकार पुन: स्थापित किया गया। सेना के साथ षड्यंत्र करने के कारण यह जनता में और भी अप्रिय हो गया क्योंकि अब सामान्य जनता की यही प्रतिक्रिया थी कि सेना पर नियंत्रण प्राप्त कर लेने के बाद इसकी दमन नीति और भी तीव्र हो जाएगी। अतएव ३६१ ई. में जनता ने इसका वध कर डाला। इस थोड़ी अवधि में ही एक महंत के स्थान से इसने जो अत्याचार किए उससे उस परंपरा का संकेत मिलता है जो आगे चलकर रोम के पोप द्वारा किए गए अत्याचारों एवं कठोरताओं के लिए कुख्यात है।