जार्ज ऑव पिसीडिया का जन्म एशिया माइनर के पिसीडिया नामक स्थान पर हुआ था। निश्चित जन्म या मृत्युतिथि तो नहीं मालूम, लेकिन ये सातवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में रहे। कवि के रूप में बाइजैंटियम के साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। इनके समय में वाइजैंटियम साम्राज्य का शासक हेराक्लियस (Heraclius) था। उसने फारस के तत्कालीन शासकों के विरुद्ध कई युद्ध किए और उनकी विस्तारवादी नीति को सफल होने से रोका। उस समय के युद्ध केवल साम्राज्यविस्तार के उद्देश्य से ही नहीं, धर्मप्रचारार्थ भी लड़े जाते थे। फारस का साम्राज्य ईसाई धर्म की भी रक्षा की। जार्ज ऑव पिसीडिया ने अपनी तीन कविताओं में (Expedition of Heraclius, और Recovery of the true cross) अपने सम्राट् के शौर्य और पराक्रम का गुणगान किया है। एक अन्य कविता (Attack of the Avars) में इन्होंने सन् ६२५ ई. की उस लड़ाई का वर्णन किया है जिसके परिणामस्वरूप कुस्तुंतुनिया ईसाइयों के हाथ में आ गया। इन कविताओं में केवल विजेताओं के पराक्रम का ही वर्णन नहीं है, ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव की उत्साहपूर्ण अभिव्यक्ति भी है। इनकी सबसे लंबी रचना 'Hexameron' है जिसमें इन्होंने मध्य युग में लोकप्रिय सृष्टि की कहानी कही है। सृष्टि की छोटी सी छोटी वस्तुओं में भी ईश्वर विराजमान है। इसकी महिमा सर्वत्र देखी जा सकती है। इन्होंने एक कविता 'Human life' भी लिखी। मध्ययुगीन यूनानी कवियों ने मुख्यत: प्रार्थना (Hymns) और चुटकुलों के रूप में छोटी कविताओं (Epigrams) की ही रचना की। जार्ज ऑव पिसीडिया ने लंबी कविताएँ भी लिखीं जो प्राय: सभी काव्योचित गुणों से परिपूर्ण हैं। (तुलसी नारायण सिंह)