जायसवाल, काशीप्रसाद (२७ नवंबर, १८८१-१९३७) इतिहास और पुरातत्व के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् थे। उनकी उपलब्धियों से ज्ञान का यह क्षेत्र विकसित हुआ। आपका जन्म मिर्जापुर में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई इंग्लैंड में एम.ए. (आक्सफोर्ड) और बार-एटला की परीक्षाएँ पास कीं। १९१० ई. में कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्राध्यापक नियुक्त हुए। १९१४ से पटना हाईकोर्ट में वकालत, आरंभ की। बिहार के तत्कालीन प्रशासक एडवर्ड गेट ने 'बिहार रिसर्च सोसाइटी' से जब 'बिहार रिसर्च जर्नल' के प्रकाशन का प्रबंध किया तो श्री जायसवाल उसके प्रथम संपादक हुए। उन्होंने 'पाटलिपुत्र' का भी संपादन किया। 'पटना म्यूजियम' की स्थापना भी आपकी ही प्रेरणा से हुई। १९३५ में 'रायल एशियाटिक सोसाइटी' ने लंदन में भारतीय मुद्रा पर व्याख्यान देने के लिये आपको आमंत्रित किया। आप इंडियन ओरिएंटल कफ्रोंस (छठा अधिवेशन, बड़ौदा), हिंदी साहित्य सम्मेलन, इतिहास परिषद् (इंदौर अधिवेशन), बिहार प्रांतीय हिंदी साहित्य संमेलन (भागलपुर अधिवेशन) के सभापति रहे। स्वर्गीय राष्ट्रपति डा. राजेंद्रप्रसाद के सहयोग से आपने इतिहास परिषद् की स्थापना की। आपकी प्रकाशित पुस्तकों के नाम 'हिंदू पालिटी' 'ऐन इंपीरियल हिस्ट्री ऑव इंडिया', 'ए क्रॉनॉलजी ऐंड हिस्ट्री ऑव नेपाल' हैं। हिंदू, पालिटी का हिंदी अनुवाद (श्री रामचंद्र वर्मा) 'हिंदू राज्यतंत्र' के नाम से नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी से प्रकाशित हुआ। आप नागरीप्रचारिणी पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य भी रहे।