जामी नुरुद्दीन (१४१४-१४९२) विख्यात पारसी कवि। हेरात के निकट आम जिले में उत्पन्न हुए। उनकी रचनाओं में उनकी प्रतिभा का, विस्तृत और गंभीर ज्ञान का तथा भाषा और शैली पर प्रशंसनीय अधिकार का परिचय मिलता है। यों उन्होंने काव्य से अधिक गद्य में लिखा है, फिर भी उनका कविरूप ही प्रधान माना जाता है। गद्य रूप में लिखी हुइ नफाहत अल उंस ने, जिसमें सूफी मतवादियों के जीवन चरित्र संकलित हैं, बहुत आदर पाया है। सूफी दर्शन और काव्य पर इनकी अनेक उत्कृष्ट रचनाएँ हैं। इनकी मृत्यु हेरात में हुई।