जहाँसोज़ अलाउद्दीन गुरीद शासक, जो कवि भी था। इसके दो भाई कुतुबुद्दीन मुहम्मद और सैफुद्दीन सूरी क्रमश: गजनी विजय के लोभ में बहराम शाह (गजनी का शासक) के हाथों मारे गए। अंत में अलाउद्दीन प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर गजनी पर चढ़ आया। बहराम की तीन सतत पराजयों के बाद गजनी अलाउद्दीन के हाथ में आ गया। बड़ी नृशंसता से नगर को विध्वंस किया गया। इस घटना ने अलाउद्दीन के जीवन को बहुत कलंकित किया है। ठीक एक वर्ष पश्चात् ११५२ में अलाउद्दीन ने पंजाब में संजर के विरुद्ध कूच किया और हेरात के निकट पराजित हुआ। किसी तरह मुक्त होकर उसने फिराज कोह में शासक के रूप में अपने अंतिम दिन बिताए। ११६१ में वह मर गया।