जलालुद्दीन वुखारी (१३०८-८४) भारत का एक प्राचीन पीर। इसका उपनाम 'मकदूम-ए-जहांनिय-जहाँगुश्त' था। इसका दादा सैयद जलालुद्दीन-ए-सुर्ख बुखारा से भारत आया था। बहुत थोड़ी आयु में इसने ज्ञान प्राप्ति की कामना से मिस्त्र, सीरिया, फिलस्तीन, मेसोपोटामिया, बलख, बुखारा खुरासान, मक्का और मदीना की यात्राएँ की। भारत में मुहम्मद तुगलक ने इसे 'शेख-अल-इस्लाम' नियुक्त किय। फीरोजशाह तुगलक ने भी इसे बहुत अधिक सम्मान दिया। जलालुद्दीन युद्धों में भी फीरोज के साथ रहा। सुलतान की धार्मिक प्रवृत्ति पर जलालुद्दीन का बहुत प्रभाव था, जैस कि फितूहास-ए-फिरोजशाही से स्पष्ट है। 'खुलासत अल अलफाज जामी अल उलूम', 'सिराज अल हिदाय' और 'खजाना-ए-जलाली' नामक पुस्तकों में उसकी धार्मिक शिक्षाएँ संगृहीत हैं।