जरबोआ (Jerboa) अथवा हरिण मूषक एक प्रकार का चूहा है, जो एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानों में पाया जाता है। हरिण मूषक हमारे देश में प्राय: सभी स्थानों में मिलता है लेकिन संख्या में कम और रात्रिचर होने के कारण इसे हम कम देख पाते हैं। अपनी अगली छोटी और पिछली बड़ी टाँगों के कारण हरिण की तरह छलाँगें भरता हुआ चलता है, इसीलिए इसका नाम हरिण मूषक पड़ा है। इसकी एक एक छलाँग चार पाँच गज की होती है। कभी कभी निरंतर इतनी जल्दी जल्दी छलाँगें भरता है कि मालूम होता है, हवा में उड़ रहा है।

चित्र. जरबोआ

हरिण मूषक लगभग छह इंच लंबा होता है जिसके लगभग सात साढ़े सात इंच की लंबी दुम होती है। इसकी अगली और पिछली टाँगों की लंबाई में कंगारू की टाँगों से भी अधिक विषमता होती है। अगली टाँगें एक इंच से अधिक लंबी नहीं होतीं, किंतु पिछली टाँगें दी इंच की होती हैं। इसका रंग हलका ललछौहं भूरा होता है, जिसमें कुछ राखीपन की झलक रहती है, जिससे यह अपने रेगिस्तानी वातावरण में बिलकुल मिल जाता है और शीघ्र इसका पता नहीं चलता। तल भाग का रंग सफेद होता है। पार्श्व भाग के बाल कालापन लिए होते हैं। यह देखने में कंगारू जैसा लगता है और उसीकी सतरह जब अपन पिछली टाँगों पर खड़ा होता है तो अपनी दुम का सहारा लेता है।

हरिण मूषक बड़ी संख्या में एक साथ रहते हैं और अगले पैरों से मिट्टी खोद कर बिल बनाते हैं। दिन में या तो बिल में छिपे रहते हैं या बिल के द्वार के समीप ही बैठते हैं और ज्यों ही किसी प्रकार का खटका होता है, त्यों ही तुरंत बिल में घुस जाते हैं। इस प्रकार सरा दिन बिल में अथवा उसके समीप बिताकर रात को भोजन की तलाश में ये बाहर निकलते हैं। इनका मुख्य भोजन घास, जड़, बीज और अनाज है। इसकी मादा साल में कई बार, आठ दस या उससे भी अधिक संख्या में बच्चे जनती है। (भृ.ना.प्रा.)