जरत्कारु सर्पराज वासुकि के बहनोई, एक पौराणिक सर्प। इनकी स्त्री का नाम भी जरत्कारु ही था। एक बार ये सांयकाल को सो रहे थे और जरत्कारु ने इन्हें जगा दिया। इसपर रुष्ट होकर उसे छोड़ वे चले गए। वह उस समय गर्भवती थी। उसी गर्भ से आस्तिक सर्प पैदा हुआ जिसने पोराणिक परंपरा के अनुसार जनमेजय के सर्पयज्ञ के समय सपरिवार वासुकि की रक्षा की थी। (भो.ना.ति.)