जयमल- पौराणिक विष्णोपासक राजा। विष्णु की पूजा में लीन रहने के कारण वह राजकाज से विरत-सा हो गया। कथा है कि उसके पूजा व्यस्त रहते जब शत्रु ने आक्रमण कर दिया भगवानविष्णु ने स्वयं लड़ाई लड़ी और शत्रु को पराजित किया। यह जानकर आक्रमणकारी भी विष्णुभक्त हो गया।

- प्रसिद्ध राजपूत सामंत। राणा संग्रामसिंह के पुत्र उदयसिंह के भाग जाने पर जयमल और केलावा के पुत्र ने मुगल सम्राट् अकबर के विरुद्ध चित्तौड़ की रक्षा का भार सँभाला। १५६८ में अकबर के हाथों उनकी हत्या हुई। फिर भी गुणाग्राहक अकबर इन दो वीरों को नहीं भूला। उसने दोनों की प्रस्तर मूर्तियाँ बनवाकर अपने महल के सिंहद्वार पर स्थापित करवाई।