जयपुर १. जिला, यह सन् १९४७ के पूर्व राजपूताना का एक राज्य था जिसका विस्तार १५,५७९ वर्ग मील था। अब यह जिला है। यह समुद्रतल से १,४०० फुट से १,६०० फुट तक की ऊँचाई पर स्थित है। जिसे का क्षेत्रफल ५,३९३ वर्ग मील है। यहाँ सांभर झील से नमक निकाला जाता है।
२. नगर, स्थिति २६°
५५¢ उ. अ. तथा ७५°
५०¢ पू. दे.। नगर
राजस्थान राज्य
की राजधानी
तथा यहाँ का
सबसे बड़ा नगर
है। यह दिल्ली से
१९१ मील दक्षिण-पश्चिम
में बसा है। इस
नगर का नामकरण
सुप्रसिद्ध महाराजा
सवाई जयसिंह
द्वितीय के नाम
पर हुआ जिन्होंने
इसकी स्थापना
१७२८ ई. में की थी। जयपुर
सूखी झीलवाले
मैदान में बसा
है, जो दक्षिण
दिशा को छोड़कर
अन्य दिशाओं में
ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों
द्वारा घिरा
हुआ हैं, जिनकी
सस्त मुख्य चोटियों
पर किले बने
हैं। नगर के उत्तरी-पश्चिमी
किनारे पर
मुख्य सुरक्षास्थल
है, जो प्राचीन
काल में 'टाइगर
फोर्ट' के नाम
से विख्यात था।
इस नगर के चारों
ओर ९ फुट चौड़ी
तथा २० फुट ऊँची
दीवार है, जिसमें
सा द्वार हैं। यहाँ
की सड़के स्वच्छ एवं
चौड़ी हैं जो
ए दूसरी को समकोण
पर काटती हैं।
मुख्य सड़कें १११ फुट,
द्वितीय श्रेणी
की सड़के ५५ फुट एवं
तृतीय श्रेणी
की सड़कें २७
फुट चौड़ी हैं१
नगर के मध्य में
गुलाबी पत्थरों
से निर्मित राजमहल
तथा अन्य भवन बहुत
ही सुंदर हैं।
जयपुर नगर में राजस्थान विश्वविद्यालय, मेडिकल महाविद्यालय, जनता पुस्तकालय एवं अन्य अनेक शिक्षण संस्थाएँ हैं। यहाँ की राजमहल, जंतर-मंतर वेधशाला, विधानभवन, विश्वविद्यालय आदि दर्शनीय हैं।
यहाँ के कालीन, मिट्टी तथा पीतल के बरतन, सोने पर मीने की कारीगरी एवं संगमरमर पर खुदाई के कार्य तथा उद्योग मुख्य हैं। (विजयराम सिंह)