जम्मिया समाज का संगठन का पर्याय। यह शब्द १७वीं शताब्दी के अंत से सीरिया और लेबनान के मठों और चर्च के संगठन के अर्थ में प्रयुक्त हुआ। किंतु १९वीं शताब्दी मध्य से लेबनान तथा अन्य अरबीभाषी देशों में इसका वैज्ञानिक, साहित्यिक और राजनीतिक संघों के निमित्त होना आंरभ हुआ। शनै: शनै: इसके अर्थ का क्षेत्र विस्तृत होता गया और रूप धर्मनिरपेक्ष होने लगा तथा विभिन्न संगठनों में भिन्न-भिन्न धर्मावलंबी सम्मिलित होने लगे।
कुछ काल के पश्चात् क्रियाशील संगठन बने। जमैयत बाकूरा सुरिम्या के नाम से महिला संघ बेरुत में १८८१ में संघटित हुआ। जनचेतना के प्रतिनिधि के रूप में १८७८ में अलेक्जेंड्रिया में जमैयाअल-खैरिया अल-इस्लामिया के नाम से संस्था स्थापित हुई, जिसके निर्देशन में वहाँ शिक्षा प्रसार की व्यवस्था हुई। काहिरा में भी कुछ ऐसी ही संस्थाएँ हुई। इन संस्थाओं का उद्देश्य मुख्यत: तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों के प्रति जनता को जाग्रत करना था। मिस्र में इस्लामिक चेतना को जाग्रत करने और ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाने के प्रयत्नों में इन संस्थाओं ने अच्छा योगदान दिया। राजनीतिक संस्थाएँ अरब आदि में अधिक संख्या में स्थापित हुई। अरब में तुर्की शासन के विरुद्ध २०वीं शताब्दी के आरंभ में क्रांति का सूत्रपात कुछ छात्रों द्वारा स्थापित ऐसी ही संस्था द्वारा हुआ। वर्तमान काल में राजनीतिक संगठनों के लिए जम्मिया का स्थान 'हिज्ब' शब्द ने ले लिया और जम्मिया पुन: सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं के लिए सीमित रह गया।