जमालुद्दीन अस्करी तुर्क दार्शनिक और धर्मशास्त्री। इसकी प्रतिभा और विद्वत्ता से आकर्षित होकर बहुत खड़ी संख्या में लोग इसके शिष्य हुए। कुछ इतिहासकारों के मतानुसार अमासिया के शासक की सेवा में कादी अस्कर नियुक्त रहा। इसकी मृत्यु के समय के संबंध में मतभेद है।

उसकी पुस्तकों में केवल 'अखलाक-ए-जमाली' (आचारशास्त्र) ही मौलिक रूप से उपलब्ध है। 'अल-गया-अल-कुसवा', 'शर्ह-अल-इदाह' , 'शर्ह-ए-मुश्किलात-अल-कुरान अलकेरीम' (धर्मशास्त्र), हाल अल-मुजीज़ (चिकित्सा शास्त्र) 'हाशियात-ए-मुल्तका' (विधि शास्त्र) आदि पुस्तकों की अन्य विचारकों द्वारा की गई समीक्षाएँ ही उपलब्ध हैं।