जमशेद ईरानी पुरा कथाओं में वर्णित, पहलवी 'यीमा' से अभिन्न वीवंगहुवंत का पुत्र एवं ईरानी स्वर्णयुग का महान् शासक था। फिरदौसी कृत 'शाहनामा' में इसे सांस्कृतिक नायक की स्थिति से ईटं तथा भवन निर्माणकला का आविष्कर्ता और अन्य कलाओं का उन्नायक कहा है। अवेस्ता, बूँदहिश्न तथा अन्य ईरानी पुराणों के अनुसार जमशेद सृष्टि निर्माण, 'महान शीत, और 'नूह' के जल 'जल प्रलय' से संबंधित है। यह देवलोक का प्रथम मानवशासक था जो बाद में मृत्युलोक का अधिपति बना। इसके सुंदर शासन से सुखाधिक्य के कारण मानवजाति में इतनी वंशवृद्धि हुई कि उनके रहने के लिए उसे तीन बार पृथ्वी का विस्तार करना पड़ा। अंत में अहुरमज्द के निषेध करने पर उसने ऐसा करना बंद किया। किंतु ये बातें पुराणों की आलंकारिक उक्तियाँ हैं। इसकी ऐतिहासिकता विवादास्पद है। इतिहासकारों का एक वर्ग उसका समय ई. पू. ३,००० वर्ष और दूसरा उसका जन्मकाल ८०० ई. पू. मानता है। कहा जाता है कि इस अर्द्ध ऐतिहासिक राजा ने पर्सिपोलिस नगर की स्थापना की थी। यह सौर वर्ष का प्रारंभयिता था। बूंदहिश्न के अनुसार सृष्टि की प्रथम दो सहस्राब्दियों में द्वितीय सस्राब्दी के मध्य, नाग-मुखवाले त्रिशिर दानव अजहिदहाक ने जमशेद का नाशकर उसका राज्य हड़प लिया। अवेस्ता के इस कथन की व्यवस्था इतिहासकारों ने नए ढंग से की है। उनके मत से अजहिद्दहाक या जुहाक सीरिया का राजा था जिसने आक्रमण कर इस विलासी राजा का अंत कर दिया।
(श्याम तिवारी)