जमदग्नि भृगु के पौत्र तथा ऋचीक के पुत्र, जो ब्रह्मर्षि थे। इनका विवाह प्रसेनजित की कन्या रेणुका से हुआ था, जिनसे इन्हें समन्वान्, सुषेण, वसु, विश्वावसु और परशुराम, पाँच पुत्र पैदा हुए। एक बार इनकी पत्नी रेणुका का मन राजा चित्ररथ को अपनी स्त्रियों के साथ क्रीड़ा करते देख, विचलित हो गया। जमदग्नि योगबल से यह जान गए और उन्होंने अपने पुत्रों को बारी-बारी से रेणुका का वध करने की आज्ञा दी। सबके अस्वीकार करने पर परशुराम ने उसका वध किया। इसपर प्रसन्न होकर जमदग्नि में उन्हें वर माँगने को कहा। परशुराम ने माता के पुनर्जीवित हो जाने का वर माँग, इस प्रकार रेणुका पुन:जीवित हो उठीं। एक बार जब जमदग्नि ध्यानमग्न थे, कार्तवीर्य ने इन्हें मार डाला। (भोलानाथ तिवारी)