ज़फर खाँ (मीर जफ़र या मीर मोहम्मद जफ़र खाँ) सैयद अहमद अल नजिफी का पुत्र। १७४० में अलीवर्दी खाँ के बंगाल के नवाब होने पर यह उसका सेनापति हुआ किंतु उसने आगे चलकर अलीवर्दी खाँ की हत्या और सिंहासन हड़पने का कुचक्र रचा। फलत: शुजाउद्दौला (अलीवर्दी खाँ के पौत्र) ने इसे सभी पदों से मुक्त कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी के लार्ड क्लाइव की सहायता से इसने बंगाल के शासन पर अधिकारी कर लिया (१७५७)। कुछ दिन तक मीर कासिम के द्वारा पदच्युत रहने के बाद और मीर कासिम के ईस्ट इंडिया कंपनी से हार कर अवध भाग जाने पर १७६३ में यह पुन: नवाब हुआ। १७६५ में इसकी मृत्यु हुई।