छछ्छ (चच) छछ्छ का वास्तविक नाम शायद जज (यज्ञ) रहा हो। पिता का नाम शिलाइज (शिलादित्य) था और राजा बनने से पहले यह सिंध के राजा साहसी का मुख्य मंत्री रहा था। कहते है कि रानी से मिलकर उसने राज्य पर अधिकार जमा लिया। उसने अपने पक्ष के सरदारों को अच्छी जागीरें दीं, विरोधियों को कैद किया और राज्य को सुसंगठित कर दिग्विजय के लिये प्रयाण किया। चित्तौड़ के राजा को पराजित कर उत्तर की ओर उसने अस्कलंद और पाबिया को जीता जिसकी स्थिति संभव: सिंध और चिनाब के संगम के निकट थी। इसके बाद मुल्तान और करूर की बारी आई। पश्चिमी प्रयाण में उसने मकरान और सिविस्तान को जीता। दक्षिण में अगम लोहाना ने उसका एक साल तक सामना किया। अगम की मृत्य के बाद उसके पुत्र ने छछ्छ की अधीनता स्वीकार की।

छ्छछ ने चालीस वर्ष राज किया, किंतु जहाँ उसने राज्य की वृद्धि की वहाँ अपने कुछ कार्यों से उसे निर्बल भी बनाया। उसने जाटों और लोहानों को तलवार न बाँधने की आज्ञा दी। उन्हें काले और लाल रंग के उत्तरीय पहनने पड़ते थे, रेशमी कपड़े उनके लिये वर्जित थे। उन्हें घोड़े पर बिना जीन के चढ़ना और नंगे सिर, नंगे पैर घूमना पड़ता था। सिंध की वीर जातियों से छछ्छ का यह व्यवहार भारत के लिये अंतत: घातक सिद्ध हुआ।

सं. ग्रं. - इलियट ऐंड डाउसन : चचनामा, खंड १ पृ. १३१-१५२; होडीवाला : स्टडीज इन इंडो मुस्लिम हिस्ट्री, पृ. ८०-६ (द. श.)