चेस्टरफील्ड, फिलिप स्टैनहोप कुशल राजनीतिज्ञ, सुवक्ता, अर्ल तथा विद्वान्। इनका जन्म २२ सितंबर, १६९४ को लंदन में हुआ। शिक्षा कैंब्रिज में प्राप्त की। अपने पिता के बाद चेस्टरफील्ड के चौथे अर्ल बनने पर वे १७१६ से १७२६ तक 'सेंट जरमेंस के सदस्य' के रूप में हाउस ऑव् कामंस में रहे। सन् १७३० में हाउसहोल्ड के लार्ड स्टोवार्ड नियुक्त हुए। अभी तक उन्होंने तक उन्होंने वालपोल का समर्थन किया था। राज्यकर संबंधी एक कानून के विरोध से मत देने के कारण फिलिप डारमर स्टैनहोप को पदच्युत कर दिया गया। इसके बाद विरोधी दल के सदस्य बनकर वे वालपोल के कट्टर बैरी बन गए१ सन् १७४४ ई. में पैलहम मंत्रिमंडल में शामिल हुए। १७४५ में लार्ड लैफ्टिनेंट तथा १७४६ में राज्य के एक मुख्य सचिव बने। इनकी घनिष्ठता स्विफ्ट, पोप, बोलिगबोंक आदि से थी। 'लेटर्स टु हिज (नैचुरल) सन' तथा 'लेटर्स टु हिज ग्रैंड सन ऐंड सक्सेसर' नामक दो पुस्तकें लिखीं। उनकी मृत्यु २४ मार्च, १७७३ ई. को हुई। मृत्युपरांत सन् १९२३ में लार्ड हंटिग्टन को लिखे पत्र तथा सन् १९२७ में उनकी कविताएँ प्रकाशित हुईं। फिलिप डारमर स्टेनहोप के संबंध में क्रेन (१९०७), काक्सन (१७२५) की पुस्तकें तथा सेंट बीव, सी. कोलिंस, आस्टीन डाबसन के निबंध प्राप्त हैं। (लालजी सिंह)