चेलिनी, बेन्वेनुतो (१५००-१५७१) इटली के इस धातुकार शिल्पी का जन्म फ्लोरेंस में १ नवंबर, १५०० ई. में हुआ। अपने पिता के विरोध करने पर भी उसने कई स्थानों का स्वर्णकार्य किया१ इस बीच चेलिनी की बनाई सुंदर कलाकृतियों में रजत रत्नपेटी, दीपाधार, अलंकृत कलश तथा लिदा और हंस आकृतिवाले स्वर्णपदक उल्लेखनीय हैं। १५१९ ई. में चेलिनी रोम गया जिसपर फ्रांस राजपरिवार के मुख्य पदाधिकारी शार्ल बूर्नों ने आक्रमण कर दिया। चेलिनी के प्रमाण से स्वयं उसने ही बूनों को गोली मारकर पोप क्लेमेंट सप्तम के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। वहाँ से फ्लोरेंस लौटने पर उसने अनेक पदकों का निर्माण किया जिनमें स्वर्ण पदक पर उभारे हरकुलिज और निमियन सिंह; पृथ्वी उठाए आतलस सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। स्वर्ण और रजत के अतिरिक्त चेलिनी ने प्रतिभा निर्माण का भी कार्य किया जिनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण मेटूसा मस्तकधारी पर्सियस की कांस्य प्रतिमा थी। रजत की जूपितर की आदमकद प्रतिमा, बिंदो आल्तोविती का कांस्य ऊर्ध्वार्ध, तथा मार्स की विशाल प्रतिमा उसकी मूर्तियों से मुख्यतम हैं। उसकी अन्य कलाकृतियों में पोप क्लेमेंट के लिए बनाए सुंदर पदक, फ्रांसिस प्रथम अंकित पदक और कार्डिनल पेइत्रो बेंबो का पदक उल्लेखनीय है। इन सभी पर चेलिनी का नाम भी उत्कीर्ण है।

चेलिनी की आत्मजीवनी भी अनुपम साहित्यिक कृति है। चेलिनी ने स्वर्णकारों, शिल्पियों और डिजाइनों के ऊपर भी अनेक ग्रंथ लिखे। ६५ वर्ष की अवस्था में पियरा द साल्वादोरे पारिगी को उसने ब्याहा। ७१ वर्ष की आयु में १३ फरवरी, १५७१ ई. को फ्लोरेंस में चेलिनी की मृत्यु हो गई। (कमलनाथ गुप्त)