चेर्नीशेव्स्की, निकोलाई ग्राविलोविच (२४ जुलाई, १८२८-२९ अक्टूबर, १८८९) रूस के महान् विचारक, क्रांतिकारी लेखक, विद्वान् तथा प्रशासक। आपका जन्म एक पुरोहित परिवार में सारातफ में हुआ। सन् १८५४ से 'रूब्रेमेन्निक' नामक एक समाचारपत्र में काम करते थे। आगे चलकर इन निर्देशित पथ पर यह पत्र समाजवादी क्रांति के मुखपत्र के रूप में परिवर्तित हो गया।
चेर्नीशेव्स्की ने कृषकों को भूमिगत पराधीनता से मुक्त करने का महान् व्रत धारण कर क्रांति आंदोलन में भाग लिया। पहले आप छिपे रहे, बाद में जार सरकार ने आपको ७ जुलाई, १८६२ को बंदी बनाकर पेत्रोपाल्वोवस्की के एक दुर्ग में रखा। लगभग २० वर्षों तक साइबेरिया में निर्वासित जीवन व्यतीत किया।
आपका दार्शनिक दृष्टिकोण धर्म तथा आदर्शवाद का विरोधी रहा। आपने जड़वाद और पदार्थविद्या को बल दिया। रूस की जनता आपको इतिहास का निर्माता मानती है। इतिहास में आपके व्यक्तित्व का प्रभाव समयानुकूल था।
'क्या करना है' उपन्यास में सर्वप्रथम चेर्नीशेव्स्की ने रूसी साहित्य में पेशेवर क्रांति की रूपरेखा की नींव डाली।
कार्ल मार्क्स तथा फ्रेडरिक एंगेल्स ने आपके लेखों को पढ़ा और आपको एक विद्वान् की आख्या दी। ब्ला. ई. लेनिन ने भी आपके लेखों की काफी सराहना की तथा आपको जनसत्ताक समाजवादियों में एक प्रमुख व्यक्ति माना। (लियो स्तेफान शौम्यान)