चेक एक अनिर्बंध आदेशपत्र जिसके द्वारा बैंक का जमाकर्ता अपने बैंक को आदेश देता है कि चेक में लिखित राशि का, चेक में लिखित व्यक्ति (आदाता) को अथवा उसके आदिष्ट किसी अन्य व्यक्ति का, चेक के प्रस्तुत करने पर, भुगतान कर दी जाय।

किसी बैंक पर चैक लिखने का अधिकार केवल उस व्यक्ति को होता है जिसका उस बैंके में लेखा हो और उस लेखे में पर्याप्त राशि जमा हो। ऐसे व्यक्ति को बैंक का 'जमाकर्ता ग्राहक' कहते हैं।

किसी भी बैंक पर चेक क्यों न लिखा जाय, उसका प्रारूप एवं विवरण एक जैसा ही होता है। बैंक अपने नाम के चेक अपनी ओर से मुद्रित कराकर अपने ग्राहकों को देते हैं ताकि पहिचान की सुविधा रहे और चेक लिखते समय लेखक से कोई सूचना छूट जाने की आशंका भी न रहे।

चेक लिखते समय लेखक को तिथि (दिनाँक), राशि, आदाता का नाम तथा अपने हस्ताक्षर जिखने में बड़ी सावधानी की आवश्यकता होती है। यदि इनमें से कोई भी बात न लिखी गई अथवा अपूर्ण, अशुद्ध या अस्वच्छ लिखी गई तो बैंक उस चेक का भुगतान नहीं करता। ऐसी स्थिति को 'चेक का अनादरण' कहते हैं। लेखक का चेक पर अपना हस्ताक्षर ठीक उसी प्रकार करना आवश्यक होता है जिस प्रकार वह लेखा खोलते समय निदर्शन स्वरूप बैंक में प्रस्तुत करता है। यदि कभी लेखक चेक में किसी स्थान पर उलट फेर करे तो उसे प्रमाणस्वरूप उस स्थान पर भी अपना हस्ताक्षर कर देना चाहिए। लेखक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को चेक की भाषा में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं होता।

चेक समान्यत: दो प्रकार के होते हैं - (१) आदेश चेक, (२) वाहक चेक। आदेश् चेक का भगतान चेक में लिखित व्यक्ति (आदाता) को अथवा आदाता द्वारा आदिष्ट किसी अन्य व्यक्ति को ही मिल सकता है। पर वाहक चेक का भुगतान किसी भी व्यक्ति को, जो उसे ले जाकर बैंक में प्रस्तुत करे, मिल सकता है। बैंक चेक का भुगतान करते समय राशि पानेवाले व्यक्ति के हस्ताक्षर चेक पर कराकर ''वसूल पाया'' लिखा लेता है।

यदि लेखक अथव काई धारक चेक के मुख पर दो आड़ी समानांतर रेखाएँ खींच दे ते उस चेक को 'रेखांकित चेक' कहते हैं। रेखांकन का अभिप्राय यह होता है कि उस चेक का भुगतान, कोई भी व्यक्ति, चाहे वह आदाता ही क्यों न हे, बैंक के कार्यालय पर जाकर व्यक्तित: नकद राशि में प्राप्त नहीं कर सकता वरन् उस चेक का भुगतान किसी अन्य बैंक के माध्यम द्वारा ही प्राप्त हो सकता है। अत: चेक का रेखांकन करने से उसमें कपट की संभावना कम हो जाती है। यदि कभी कोई व्यक्ति रेखांकित चेक को चुराकर अपने बैंक के माध्यम से उसकी राशि प्राप्त कर भी ले तो उसका ब्योरा उसके लेखे में से प्राप्त करके कपट का ज्ञान हो सकता है। इस सुरक्षा के कारण बाहर गाँव भेजे जानेवाले चेकों का रेखांकन करना हितकर होता है। चेक का रेखांकन अनेक विधियों से किया जा सकता है, यथा चेक की पीठ पर लेखक तथा धारक अपने हस्ताक्षर करके किसी व्यक्ति के नाम उस चेक का बेचान कर सकते हैं। प्रत्येक धारक अपने ऋण के भुगतान में चेक का बेचान कर सकता है और इस प्रकार संभव है कि चेक काफी समय तक बैंक में भुगतान के लिये प्रस्तुत नहीं किया जाय। पर स्मरण रहे कि चेक लिखित दिनांक से अगले छह मास में अवश्य बैंक में भुगतान के लिये प्रस्तुत हो जाना चाहिए अन्यथा बैंक 'बीतकालीन चेक' कहकर उसे अनादृत कर देता है।

बैक द्वारा चेक का अनादरण तब भी किया जाता है जब कि (१) ग्राहक (लेखक) ने उस चेक का भुगतान रोक दिया हो, (२) चेक में लिखित भाषा अपूर्ण, अशुद्ध एवं अप्रमाणित हो, (३) ग्राहक के लेखे में पर्याप्त राशि शेष न हो, (४) न्यायालय द्वारा बैंक का ग्राहक के लेखे में से भुगतान न करने का आदेश मिल गया हो, (५) लेखक पागल या नष्टनिधि हो गया हो अथवा उसकी मृत्यु हो गई हो और उसकी सूचना बैंक को प्राप्त हो चुकी हो, (६) चेक उत्तरतिथीय हो (७) चेक फट गया हे या किसी प्रकार विकृत हो गया हो। (गिरिराज प्रसाद गुप्त)