चिली स्थिति : १७° ३०¢ से ५५° ०¢ द.अ. तथा ७१° १५¢ प.दे.। दक्षिणी अमरीका में प्रशांत महासागर के तट पर स्थित गणतंत्र राज्य है। यह लंबी तंग भूमि पर केपहार्न से उष्णकटिबंधीय टैकना घाटी तक विस्तृत है। उत्तर में पेरू, पश्चिम तथा दक्षिण में प्रशांत महासागर और पूर्व में बालीविया, आर्जेटीना और अटलांटिक महासागर से घिरा हुआ है। इसकी औसत लंबाई २,६६० मील, चौड़ाई ११० मील तथा क्षेत्रफल २,८६,३९६ वर्ग मील है। संपूर्ण देश २५ प्रशासकीय प्रांतों में विभक्त है। जूऐन फरनैंनडीज द्वीप (Juan Fernandez) ईस्टर द्वीप, सलाई गोमेज़ (Salay Gomez) तथा टिएरा डेल फूएगो (Tierra del Fuego) का कुछ भाग भी चिली चिली गणतंत्र में संमिलित है। गणतंत्र को तीन प्राकृतिक भागों में विभक्त किया जा सकता है।
चित्र.
१. उत्तरी मरुभूमि, २. सम जलवायु का मध्यभाग तथा ३. ठंढा और तूफानी दक्षिणी भाग।
संसार के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा चिली में अक्षांशीय क्षेत्र में घनी जनसंख्या हैं। यहाँ की कुल जनसंख्या ७०,३०,००० (१९६०) थी। यहाँ की आठ प्रतिशत भूमि पर गेहूँ, जौ, जई, आलू, सेम वर्गीय फलियाँ, ऐल्फाल्फा तथा मूँग या मोठ की खेती होती है। गेहूँ प्रमुख पैदावर है जो एक एकड़ में १८ से लेकर २८ बुशल तक उत्पन्न हाता है। १२ प्रतिशत भूमि पर अंगूर के बगीचे हैं। सैनतिआगो में चिली के ५० प्रतिशत उद्योग हैं। इमारती लकड़ी का व्यवसाय यहाँ बढ़ रहा है। अधिकांश लकड़ी का उपयोग देश में ही हो जाता है तथा कुछ का निर्यात हाता है। मत्स्य उद्योग भी उन्नति कर रहा है। यहाँ लगभग २०० प्रकार की मछलियाँ प्राप्त होती हैं। चिली में पर्यटकों के लिये बालपाराइसो के पास बीन्या देल मार (Vina del mar) और चिलीयन झील क्षेत्र स्थि ओसारनो पहाड़, टॉनाडोर पहाड़, टोदोजलास सैनटोस (Todoslos santos) तथा यांग कीवे (Llanquihue) झील आकर्षण के केंद्र हैं। (अ.ना.मे.)
चिली का इतिहास - दक्षिण अमरीका का एक गणराज्य, राजधानी सेंटियागो है। १५४१ में 'पेड्रो डि वाल्डिविया' नामक स्पेनी ने इस नगर की स्थापना की थी। उसने बायो बायो नदी के उत्तर के चिली के भाग को स्पेन के अधिकार में कर लिया था। इसपर अनेक युद्ध हुए और वाल्डिविया युद्ध में मारा गया। अंतत: स्पेन ने १८१० में चिली की स्वतंत्रता घोषित कर दी, यद्यपि पूर्ण स्वतंत्रता १८१८ में जलसेना द्वारा प्राप्त हुई। १८१८ से १८२३ तक ओहिगिंस ने अधिनायक की स्थिति से चिली की जलसेना, कृषि, नगर तथा व्यापार का उत्थान किया। इसी समय रूढ़िवादी और उदारवादी दो राजनीतिक दल उभरे, किंतु ये भी समाज के उच्च वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते थे। लंबे संघर्ष के बाद संघोय शासनतंत्र के विरुद्ध सत्ता के केंद्रीकरण की विजय हुई।
डियेगो पोटेंलीज ने १८३० से १८३७ तक स्थायी सरकार स्थापित रखी।
इसी बीच तीन वर्ष तक (१८३६-३९) उसने पेरू के विरुद्ध सफल युद्ध करके बोलिविया और पेरू के संघ को भंग कर दिया। तत्पश्चात् चिली ने पैटागोनिया और टेराडेलफ्यूगों पर अधिकार कर लिया।
१८३१ से १८६१ तक रुढ़िवादी दल का राज्य रहा, किंतु इसके बाद १८९१ तक उदारवादी दल ने भी सरकार निर्माण में सहयोग दिया। १८७९ से १८८३ तक चलनेवाले पैसिफिक युद्ध के पश्चात् १८८३ की संधि के अनुसार एंटोफैगस्टा के संमुख बोलिविया ने और टरापका के संमुख पेरू ने आत्मसमर्पण किया। यह स्थिति १९२९ तक रही फिर अमरीका की मध्यस्थता से टेनका पेरू में और एरिका चिली में मिल गया।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद चिली में वामपंथी शक्तियाँ संगठित हुई। प्रथम बार मध्यमवर्ग का प्रतिनिधि अलेसांद्री पामा राष्ट्रपति हुआ। १९२५ में उसने नए संविधान द्वारा संसदीय प्रणाली को हटाकर कार्यपालिका की स्थापना की। किंतु उसका संविधान कांग्रेस में मान्य नहीं हो सका। अलेसांद्री को १९२५ में ही राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र देना पड़ा। १९२७ से १९३१ तक एक सैनिक सत्तारूढ़ रहा। अलेसांद्री पुन: राष्ट्रपति चुना गया। १९३८ के निर्वाचन में उदारवादी और वामपंथी गुट की विजय हुई।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आर्थिक अव्यवस्था के कारण इसकी आंतरिक स्थिति अच्छी नहीं थी। फलत: १९४८ तक शांति स्थापित नहीं हो सकी।
१९५२ में जनरल इबानीज ने निर्वाचित होकर शांतिस्थापना की दिशा में प्रयत्न किए। किंतु कांग्रेस पर उसका प्रभाव न होने के कारण उसका मंत्रिमंडल टिक नहीं सका। १९५८ में अलेसांद्री पामा का पुत्र राड्रीग्वेज अनुदार (कंजर्वेटिव) और उदार (लिबरल) दलों के समर्थन से राष्ट्रपति बना। १९६० के भूकंप ने चिली की आर्थिक स्थिति को पुन: धक्का दिया। उसके बाद देश प्रगति की ओर पुन: अग्रसर हो रहा है।