चित्रगुप्त यमलोक के लिपिक जो हर मनुष्य के पाप पुण्य का लेखाजोखा रखते हैं। ब्रह्मा को काय (काया) से उत्पन्न होने के कारण ये कायस्थ कहे गए हैं, तथा इन्हें कायस्थों का आदिपुरुष कहा गया है। कायस्थों की विभिन्न शाखाओं के प्रवर्तक नागर, माथुर, गौड़, श्रीवास्तव तथा सोन आदि इनके पुत्र कहे जाते हैं। ये कलम और दावात लिए हुए पैदा हुए थे। कायस्थ लोग यमद्वितीया को इनकी पूजा करते हैं। भीष्म पितामह ने इन्हीं की पूजा करके इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त किया था। एक मत से ये चौदह यमराजों में से एक हैं। (भो.ना.ति.)