चारी नृत्य की विशेष क्रिया। सामान्यत: शृंगारोद्दीपक नृत्य क्रिया को चारी कहा जाता है। कुछ लोग विशेष पदविन्यास को ही यह नाम देते हैं। भू और आकाश इसके दो मुख्य भेद हैं।

भूचारी में छब्बीस और आकाशचारी में सोलह क्रियाएँ सनिहित हैं। इन सभी क्रियाओं के लिये संयम और श्रम नितांत अपेक्षित है।