चाँदकुअँर महाराज रणजीतसिंह के पुत्र खड्गसिंह की पत्नी। इतिहास में यह चाँदकुमारी तथा चाँदकौर के नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराजा रणजीतसिंह की मृत्यु के उपरांत उनके पत्रों में जो दुर्दांत संघर्ष चला उसी अवसर पर चाँदकुअँर का अभ्युदय एक शासिका के रूप में हुआ। ५ नवंबर, १८४० को महाराज खड्गसिह की मृत्यु पर रानी चाँदकुअँर के पुत्र नौनिहालसिंह को राजगद्दी मिली और जब उसी दिन रहस्यात्मक ढंग से उसकी भी मृत्यु हो गई तो रानी चाँदकुअँर ने शासन का भार सँभाला। वह अपने भावी पौत्र की संरक्षिका बनकर शासन करने लगी। उसे बहुत से योग्य व्यक्तियों तथा सिधिआनवालों का समर्थन प्राप्त था। परंतु यह वैभव अल्पकालीन था। शीघ्र ही महाराज रणजीतसिंह के अवैध पुत्र शेरसिंह ने मंत्री ध्यान सिंह की सहायता से सेना पर अपना सिक्का जमाकर लाहौर पर अधिकार कर लिया। प्रारंभ में तो उसने चाँदकौर को एक बड़ी जायदाद देकर संतुष्ट किया पर सन् १८४२ में दासियों द्वारा उसका वध करवा दिया। (जितेंद्रनाथ वाजपेयी)