चांत्रे, सर फ्रांसिस लेगेट (१७८१-१८४१) अंग्रेज शिल्पकार चांत्रे चित्रकला और पच्चीकारी की कला में ख्यातिप्राप्त रहे हैं। लगातार सन् १८०४ तक रॉयल अकादमी में चित्र और तत्पश्चात् सन् १८०८ से शिल्पाकृतियाँ प्रदर्शित करते रहे। आयु के ३०वें वर्ष में अकादमी के सदस्य बने। उन्हें सन् १८३५ में नाइट की उपाधि मिली। उनके द्वारा निर्मित विंसेंट, नेल्सन, डंकन तथा होवे आदि की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं। हान टूक के व्यक्तिशिल्प के लिये उन्हें १२ हजार पौंड की राशि दी गई थी। कलकत्ता, बंबई, बोस्टन, लंदन आदि नगरों में इनकी कृतियाँ सुरक्षित हैं। एलेन कनिंघम और विक्स ये दोनों सहयोगी चांत्रे के नाम से ही शिल्पाकृति बनाते रहे। (भाऊ समर्थ)