चंपारन जिला भारत के बिहार राज्य के उत्तरी पश्चिमी कोने पर तिरहुत डिवीजन में है। इसका क्षेत्रफल ३,५५३ वर्ग मील और जनसंख्या ३०,०६,२११ (१९६१) है। उत्तर में नेपाल, पश्चिम में गंडक नदी और पूर्व में बागमती नदी है। उत्तर और उत्तर-पश्चिम में हिमालय की सोमेश्वर और दून श्रेणियों को छोड़कर शेष भाग में नदियों की मिट्टी से निर्मित समतल मैदान हैं। सोमेश्वर किले की ऊँचाई समुद्रतल से २,८८४ फुट है और इन पर्वतश्रेणियों के पूर्वी छोर पर भिकना थोरी दर्रा है, जिससे नेपाल में जा सकते हैं। ये दोनों पर्वतीय श्रेणियाँ लगभग ३६४ वर्ग मील स्थान घेरती हैं, जिनमें घने जंगल हैं। शेष भूमि में खेती होती है। इसमें प्रवाहित होनेवाली मुख्य नदियाँ, गंडक, बड़ी गंडक, घनौती, बागमती और लेलवागी हैं। जिले के केंद्रीय भाग में १३९ वर्ग मील में फैली झीलों की एक शृंखला है। यहाँ धान, गेहूँ, जूट, जौ, मक्का, तेलहन और ईख की खेती की जाती है। जंगलों से लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं। धान कूटने, ईख पेरने और तेल पेरने के कारखाने हैं। सूती वस्त्र बुनने का गृहउद्योग भी उल्लेखनीय है। एक समय यह बिहार में नील उत्पादन का प्रमुख केंद्र था। सूखे से फसलों की रक्षा के लिये त्रिवेणी और धाका (Dhaka) नहरें बनाई गई हैं। त्रिवेणी नहर गंडक से निकलकर उत्तरी क्षेत्रों को और धाका नहर लाल बुकाया नदी से निकलकर पूर्वी भाग में लगभग १३,००० एकड़ भूमि सींचती है। नेपाल से अधिकांश व्यापार इसी जिले के द्वारा होता है।

जिले का प्रशासन केंद्र मोतीहारी नगर, जनसंख्या ३२,६२०, (१९६१), है जो व्यापार और शिक्षा का भी केंद्र है। बेतिया, जनसंख्या ३९,९९०, (१९६१) मोतिहारी का एक उपप्रभाग है। रक्सौल में चुंगी दफ्तर है, जहाँ से नेपाल की सीमा प्रांरभ हो जाती है। इसी जिले में प्रसिद्ध सैनिक केंद्र सुगौली है, जहाँ सन् १८५७ की जनक्रांति में भीषण हत्याकांड हुआ था। १८१५ ई. में इसी स्थान पर नेपाल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। महान् सम्राट् अशोक ने अपनी नेपाल की यात्राओं की स्मृति के लिये इसी जिले में नंदनगढ़, अराराज और रामपुरिसा में शिलालेख लगवाए थे। (कृष्ण मोहन गुप्त)