चंद्रगोपाल रामराय गोस्वामी के छोटे भाई तथा गौरगोपाल के छोटे पुत्र थे। ये लोग लाहौर से आकर वृंदावन में बस गए, जहाँ अब तक इनके वंशज रहते हैं। ये सभी चैतन्य संप्रदायी श्रीराधारमणी वैष्णव हैं। चंद्रगोपाल भी संस्कृत के विद्वान् तथा ब्रजभाषा के सुकवि थे। श्री राधामाधव भाष्य, गायत्री भाष्य तथा श्री राधामाधवाष्टक संस्कृत रचनाएँ हैं। इनका जन्म सं. १५५२ के लगभग हुआ था अत: इनका रचनाकाल सं. १५७५ से सं. १६०० के बाद तक रहा। (ब्रजरत्न दास)