घनत्व यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न पदार्थो का भार भिन्न भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के अणुओं या परमाणुओं के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है :

घनत्व = मात्रा / आयतन

अत: स. ग. स. (C. G. S.) पद्धति में घनत्व की इकाई ग्राम घन सेंमी. है।

साधारणतया पदार्थो के आपेक्षिक घनत्व का ज्ञान अधिक उपयोगी होता है, यथा किसी पदार्थ के पिंड का किसी द्रव में डूबना या तैरना, द्रव की अपेक्षा पदार्थ के घनत्व की अधिकता या न्यूनता पर, निर्भर करता है। जब एक पदार्थ के घनत्व की दूसरे पदार्थ के घनत्व से तुलना की जाती है, तब उससे जो अंक प्राप्त होता है वह पहले पदार्थ का आपेक्षिक धनत्व कहलाता है। आपेक्षिक घनत्व वस्तुत: पहले और दूसरे पदार्थों के घनत्व का अनुपात होता है। पदार्थो का अपेक्षिक घनत्व कुछ निश्चित मानक पदार्थों के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यदि अ आयतन के एक पदार्थ की मात्रा द्र(m1) तथा उसी आयतन के मानक पदार्थ की मात्रा द्रo (mo ) है, तो उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है :

आपेक्षिक घनत्व = द्र / द्रo (m1/mo )

पदार्थ का घनत्व, या अपेक्षिक घनत्व, व्यक्त करते समय पदार्थ की भौतिक अवस्थाओं (ताप, दाब, इत्यादि) को भी व्यक्त करना आवश्यक होता है, क्योंकि भौतिक अवस्था के परिवर्तन से घनत्व में काफी परिवर्तन होता है। घनत्व पर ताप तथा दाब का अधिक प्रभाव पड़ता है। यह परिवर्तन पदार्थ के आयतनपरिवर्तन के कारण होता है।

ठोस तथा द्रव पदार्थो के आयतन, तदनुरूप उनके घनत्व, पर सामान्य दाबपरिवर्तनों का प्रभाव इतना सूक्ष्म होता है कि सामान्यतया वह उपेक्षणीय होता है। दूसरी ओर सामान्य तापपरिवर्तनों का प्रभाव उपेक्षणीय नहीं होता है। अत: ठोस तथा द्रव पदार्थों के घनत्व के साथ साथ उनका ताप व्यक्त करना ही पर्याप्त होता है। दाब को व्यक्त नहीं किया जाता। सामान्यत: ठोस तथा द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व ४° सें. पर पानी के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यह आवश्यक नहीं कि पदार्थ तथा पानी का ताप एक ही हो। आपेक्षिक घनत्व को निम्नांकित प्रकार से लिखते हैं:

सा (त° /तo ° )

यहां त (t° ) पदार्थ तथा तo ° (t° o ) पानी का ताप है, तथा सा (D) पदार्थ क अपेक्षिक घनतव है। यह स्मरण रखना चाहिए कि ४° सें. पर पानी क घनत्व एक ग्राम/प्रति घन सेंमी. होता है। अत: ४° सें. पर पानी के घनत्व की तुलना से किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व ही उसका घनत्व भी होता है। सुविधानुसार पानी के स्थान पर अन्य पदार्थ भी मानक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

गैसीय पदार्थों के आयतन तथा तदनुरूप उनके घनत्व पर सामान्य ताप तथा दाबपरिवर्तनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि द्र (m) द्रव्यमान कि किसी गैस क परमताप तo (To ) पर आयतन आo (Vo ) है तो उसी मात्रा की गैस का किसी अन्य परमताप त(T) तथा दाब द (P) पर अयतन आ (V) हो जाता है। गैसीय नियमों की सहायता से आ (V) तथा आo (Vo ) का निम्नांकित पारस्परिक संबंध व्यक्त किया जा सकता है :

अत: परिभाषा के अनुसार त (T) ताप एवं द (P) दाब पर गैस के घनत्व घ (D) तथा तo (To ) ताप एवं दo (Po ) दाब पर घनत्व घo (Do ) में निम्नांकित संबंध प्राप्त किया जा सकता है:

पर्युक्त समीकरण की सहायता से मानक दाब दo (Po ) तथा ताप तo (To ) पर गैस का घनत्व ज्ञात कर लेने पर किसी अन्य ताप तथा दाब पर भी उसका घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। ०° सें. तथा ७६० मिमि. पारे की दाब को क्रमश: मानक ताप तथा दाब मानते हैं।

गैसों का आपेक्षिक घनत्व, उसी ताप तथा दाब पर, मानक गैस के घनत्व की तुलना से व्यक्त करते हैं। हाइड्रोजन या वायु ही मानक गैसों के रूप में प्रयुक्त होती हैं।

सामान्यत: सभी पदार्थों का घनत्व ताप बढ़ने से घटता तथा दाब बढ़ने से बढ़ता है। ताप बढ़ने के साथ पानी के घनत्व का परिवर्तन असाधारण होता है। ४° सें. पर पानी का घनत्व अधिकतम होता है। इससे अधिक तथा कम ताप पर पानी का घनत्व कम हो जाता है।

पहले कहा चुका है कि घनत्व पदार्थों का विशेष गुण होता है,। अत: पदार्थ की शुद्धता का अनुमान उसका घनत्व ज्ञात करके भी किया जाता है। इसी आधार पर दूध आदि द्रव पदार्थो की शुद्धता के परीक्षक यंत्र बनाए गए हैं।

पदार्थों के घनत्व संबंधी ज्ञान का उपयोग आर्किमिदीज़ के सिद्धांत के अनुसार द्रव स्थैतिकी में किया जाता है। इसके अनुसार यदि वस्तु को पहले वायु तथा फिर द्रव में तोला जाय तो दोनों भारों में अंतर वस्तु के बराबर आयतन के द्रव के बराबर होता है। इस सिद्धांत की सहायता से पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जाता है।

तत्वों के परमाणुभार तथा उनके घनत्व के अनुपात को तत्व का परमाणु आयतन कहते हैं। इस परमाणु आयतन के आधार पर आवर्त सारणी में तत्वों के स्थान का निर्धारण करने में बहुत सहायता मिली है।

किसी पदार्थ का घनत्व निकालने की उपयुक्त विधि उसकी ठोस, द्रव, या गैस अवस्था पर निर्भर करती है। यहाँ पर इन विधियों का संक्षिप्त विवरण दिया जायगा।

पदार्थ का घनत्व निकालने के लिये उसका भार तथा आयतन ज्ञात करना होता है। तथा आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कने के लिये उसी आयतन के मानक द्रव का भी भार ज्ञात करना होता है। पदार्थ का भार तो सुग्राही तुला द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। आयतन ज्ञात करने के लिय एक चि्ह्रत जार में ऐसा द्रव लेते हैं जिसमें पदार्थ घुलता नहीं है। पदार्थपिंड को द्रव में पूरी तरह डुबा देने पर, द्रव के आयतन में जितना परिवर्तन हो वही उस पदार्थपिंड का भी आयतन होता है। घनत्व का अधिक यथार्थ मान ज्ञात करने के लिये आयतनमापन की अधिक सुग्राही विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे आयतनमापी अर्थात् स्टेरिऑमीटर (stereometer) का उपयोग।

एक सामान्य आयतनमापी में, पारे से भरी हुई चौड़े मुँह की एक नली में समान अनुप्रस्थ काट की शीशे की चि्ह्रत दूसरी नली होती है। दूसरी नली की लंबाई पहली से छोटी होती है तथा उसका ऊपरी सिरा एक प्याले के पेंदे में खुलता है। प्याले को ढक्कन से बंद कर देने पर वायु भी प्याले के भीतर या बाहर नहीं जा सकती। दूसरी नली पर दो च्ह्रि क एवं ख, लo (Lo ) दूरी पर बने हैं। सर्वप्रथम बैरोमीटर से वायुमंडल की दाब च (p) नापते हैं। अब ढक्कन को हटाकर दूसरी नली को इतनी नीची करते हैं कि उसके अंदर का पारा क च्ह्रि तक आ जाय। तत्पश्चात् ढक्कन बंद करके नली को इतना उठाते है कि दूसरी नली के अंदर पारा ख स्थान पर हो जाय। इस समय नली के अंदर पारे के तल की, नली के बाहर पारे के तल से, ऊँचाई छo (ho ) ज्ञात कर लेते हैं। इसी विधि को प्याले में पदार्थपिंड को रखकर दोहराते हैं। यदि इस समय दूसरी नली के अंदर तथा बाहर पारे के तलों का अंतर छ (h) हो, तो निम्नांकित सूत्र द्वारा पदार्थपिंड का आयतन

ज्ञात कर लेते हैं :

यहाँ आ (V) पदार्थपिंड का आयतन है तथा क्ष (A) दूसरी नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है। इस प्रकार किसी दिए हुए पदार्थ का यथार्थ आयतन ज्ञात कर लेते हैं।

द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व, या घनत्व, आपेक्षिक-घनत्व-बोतल की सहायता से निकाला जाता है। घनत्व ज्ञात करने के लिये पहले खाली बोतल की मात्रा मo (mo ) ज्ञात करते हैं, तत्पश्चात् उसे द्रव से भर कर उसकी मात्रा म(m) ज्ञात कर लेते हैं। द्रव भरकर डाट लगाने पर कुछ द्रव केशिकानली से बाहर निकल जाता है, इस प्रकार बोतल का पूरा पूरा आयतन द्रव से भर जाता है। द्रव का घनत्व घ (D) निम्नलिखित सूत्र द्वारा मालूम हो जाता है:

जबकि आo (Vo ) बोतल का आयतन है, जिसे ज्ञात का घनत्व के द्रव की सहायता से ज्ञात किया जाता है। यदि बोतल को दूसरी बार मानक द्रव से भरकर मात्रा म (m) ज्ञात कर लें, तो आपेक्षिक घनत्व (R.D.) निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं :

आ. घ. बोतल की सहायता से चूरे, या छोटे छोटे टुकड़ों के रूप में प्राप्त, ठोस पदार्थो का घनत्व भी निकाला जा सकता है। आर्किमिडीज़ के सिद्धांत की सहायता से भी ठोस पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जा सकता है। यदि ठोस पदार्थपिंड मानक द्रव में अविलेय तथा अधिक घनत्ववाला हो, और ठोस की वाय में मात्रा म (m) तथा फिर मानक द्रव में पूरा पूरा डुबाकर उसकी मात्रा म (m) हो, तो पदार्थ का

आपेक्षिक घनत्व

श्

द्रव से कम घनर्तव के पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व उपर्युक्त विधि का परिवर्तन करके ज्ञात कर सकते हैं।

गैसीय पदार्थों क घनत्व ज्ञात करते समय उनके ताप तथा दाब का भी निरीक्षण किया जाता है। पूर्वोक्त सूत्र की सहायता से किसी भी ताप तथा दाब पर ज्ञात घनत्व से मानक दाब तथा ताप पर घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करने की दो मुख्य विधियाँ हैं :

 

  1. रेनो की विधि- इस विधि द्वारा उन पदार्थों का घनत्व ज्ञात किया जा सकता है जो सामान्य दाब तथा ताप पर गैसीय अवस्था में रहते हैं।
  2. बराबर आयतन तथा भार के दो फ्लास्कों को अतिनिर्वात पंप की सहायता से वायुशून्य कर एक सुग्राही तुला के पलड़ों के नीचे लटका देते हैं। ये फ्लास्क एक बक्स में रहते हैं, जिसका ताप स्थिर रखा जाता है। अब पलड़ों पर उपयुक्त भार रखकर तुला को संतुलित कर देते हैं। तत्पश्चात् एक फ्लास्क को ज्ञात दबाव द पर गैस से भर देते हैं। फ्लास्कों को यथास्थान लटकाने पर यदि अब तुला को म (m) ग्राम मात्रा द्वारा संतुलित करें तो ता (T) ताप तथा द (P) दाब पर गैस का घनत्व = म/आ [D=m/V] होगा। यहाँ आ (V) फ्लास्क का आयतन है। इसे फ्लास्क को ज्ञात घनत्व के द्रव से पूरा पूरा भरकर तथा द्रव का भार ज्ञात कर मालूम कर सकते हैं। गैसीय पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व हाइड्रोजन को मानक मानकर ज्ञात किया जाता हैं। उपर्युक्त प्रयोग को यदि हाइड्रोजन के साथ दोहराने पर उसकी मात्रा मo (mo ) ज्ञात हो तो उपर्युक्त गैस का आपेक्षिक घनत्व = म/मo (m/mo )

  3. विक्टर मायर की विधि- इस विधि का उपयोग अधिक ताप पर गैस बननेवाले पदार्थों के वाष्प का घनत्व ज्ञात करने में किया जाता है। नीचे उपकरण चित्रित है। फ्लास्क फ में ऐसा पदार्थ द लिया जाता है जिसका क्वथनांक पदार्थ द के (जिसके वाष्प का घनत्व ज्ञात करना है) क्वथनांक से अधिक हो। फ्लास्क फ को गरम करते हैं। नली न में पदार्थ द की ज्ञात मात्रा म (m) रख देते हैं। नली न से एक पतली नली एक चि्ह्रत नली च में खुलती है, जो द्रव दसे भरी होती है। द ऐसा द्रव होता है जिसके साथ पदार्थ द का वाष्प कोई प्रक्रिया नहीं करता। गरम होने पर पदार्थ द वाष्प रूप हो जाता है। इसका वाष्प नली न में भर जाता है। यह वाष्प अपने आयतन के अनुसार वायु के नली न से च में निकाल देता है। इसी अयतन आ (V) का द्र च के बाहर आ जाता है, जो चि्ह्रत नली में द्रव द की सतह के परिवर्तन से ज्ञात होता है। यदि द्रव द का का ताप ता (T) तथा यदि सामान्य ताप पर द की वाष्पदाब वा (P) है, तो (वा-वा) [P-P]
दबाव पर तथा ता (T) ताप पर उपर्युक्त पदार्थ के वाष्प का भार म (m) होगा, जब वा (P) वायुमंडल की दाब है। अत: मानक दाब तथा ताप पर वाष्प का घनत्व घ (D) निम्नांकित होता है :

चित्र. विक्टर मायर का उपकरण

श्

इस प्रकार सामान्य पदार्थों का घनत्व निकाला जाता है। सामान्यत: काम में आनेवाले पदार्थों का घनत्व सारणी १ में दिया गया है। सारणी २ में कुछ अन्य पदार्थों का घनत्व दिया गया है।

सारणी १

पदार्थ
अवस्था
ताप
दाब
घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंमी.)
जल (वाष्प)
गैस
१००° सें.
७६० मिमी.
५.८१´ १०-
वायु
गैस
३७° सें.
'' '' ''
१.९३´ १०-
जल (शुद्ध)
द्रव
° सें.
'' '' ''
०.९९९
जल (समुद्री)
द्रव
° सें.
'' '' ''
१.०३- १.०७
लकड़ी (सूखी)
ठोस
२०° सें.
०.४- ०.८
कागज़
''
'
'' '' ''
०.७- १.१५
बरफ
''
° सें.
'' '' ''
०.९१७
शीशा (साधारण)
''
२०° सें.
'' '' ''
२.४- २.८

कार्क

''
२०° सें.
'' '' ''
०.२२- ०.२६
स्टील
''
''
'' '' ''
६.९- ८.९
ऐल्यूमिनियम
''
''
'' '' ''
२.६४- २.८२
ताँबा
'
'
'' '' ''
८.९६
पीतल
'
'
'' '' ''
८.६७- ८.८०
चाँदी
'
'
'' '' ''
१०.५
पारा
'
'
'' '' ''
१३.५४६
सोना
'
'
'' '' ''
१९.३

श्

सारणी २

ग्राम प्रति घन सेंमी.
नाभिक
२व् १०१४

सबसे अधिक घना तत्व }

ठोस ऑसमियम

२२.८
पृथ्वी (औसत)
५.५१७
चंद्रमा ''
३.३४१
सूर्य ''
१.४१

(अशोक शर्मा)