घड़ी उद्योग की विकासपरंपरा को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है :
यूरोप में घड़ी उद्योग- यूरोप में घड़ी निर्माण के केंद्र पहले (१७वीं और १८वीं शताब्दी में) ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस थे। बाद में जर्मनी से कम मूल्यवाली घड़ियों के आयात के कारण इन देशों के घड़ी उद्योग को धक्का लगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान में ब्रिटेन की सरकार ने वहाँ के मृतप्रय घड़ी उद्योग को पुनर्जीवित किया। अनेक नए घड़ी निर्माण प्रतिष्ठान स्थापित किए गए और बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया। उसी समय संयुक्त राज्य, अमरीका, में आविष्कृत विद्युत् घड़ियों का प्रचलन बढ़ने लगा। ब्रिटेन ने इस ओर भी अपना हाथ बढ़ाया और कुछ ही समय में विद्युत् घडियों के निर्माण में अपना स्थान अन्यतम बना लिया। संप्रति लंदन, कवेंट्री, लिवरपूल, मैनचेस्टर, बरमिंघम, प्रेस्टन, ग्लासगो और डंडी घड़ी निर्मण एवं व्यापार के प्रमुख केंद्र हैं।
ब्रिटेन के अतिरिक्त स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस और जर्मनी विश्व में घड़ी उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। घड़ी के पुर्जों के निर्माण में स्विट्ज़रलैंड का स्थान विश्व में सर्वप्रथम है और यहाँ की बनी घड़ियाँ सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं। यहाँ से संसार के प्राय: सभी घड़ी उद्योग केंद्रों में पुर्जों का निर्यात होता है।
संयुक्त राज्य, अमरीका में घड़ी उद्योग- संयुक्त राज्य, अमरीका, में घड़ी उद्योग का जन्म कनेक्टिकट (Connecticut) के एल टेरी (El Terry, सन् १७७२-१८५२) द्वारा हुआ। वह लकड़ी की घड़ियाँ बनाकर आसपास के किसानों के हाथ बेचा करता था। यांत्रिक विधियों से घड़ी का निर्माण सर्वप्रथम उसी ने प्रारंभ किया था। उसका सहायक सेठ टौमस (Seth Thomas) दूसरा घड़ी उद्योगपति हुआ। लगभग उसी समय चॉन्सी जेरोम (Chauncey Jerome) ने घड़ी के विभिन्न अवयवों के निर्माण में लकड़ी के बदले पीतल का प्रयोग करना आरंभ किया। उसकी घड़ियाँ अधिक टिकाऊ होने के कारण शीघ्र ही लोकप्रिय हो गईं। इस सफलता से प्रेरित होकर, जेरोम ने ई. डी. ब्रायंट (E.D. Bryant) तथा ऐन्सोनिया ब्रास ऐंड कॉपर कंपनी के सहयोग से घड़ी निर्माण के निमित्त प्रथम व्यापारिक संस्थान, ऐन्सोनिया क्लॉक कंपनी, की स्थापना की।
घड़ी उद्योग का तीसरा महत्वपूर्ण युग इंगरसोल की क्रांति (सन् १८९२) से प्रारंभ हुआ अब सर्वसाधरण के उपयोग के लिये तथा उसकी क्रयशक्ति के अनुकूल घड़ियों का बहुत बड़े पैमाने पर निर्माण होने लगा। उसके बाद तो विद्युत् एवं दाब विद्युत् घड़ियों का आविष्कार हो जाने से घड़ी उद्योग में क्रांति का आविर्भाव हुआ। इधर संयुक्त राज्य, अमरीका, के नैशनल ब्यूरो ऑव स्टैंडड्सं ने परमाण्वीय घड़ियों के निर्माण की भी सूचना दी है, जिसके शीघ्र ही प्रारंभ होने की आशा है। अमरीका में प्रमुख घड़ी उद्योग केंद्र कनेक्टिकट (ब्रिस्टल, न्यूहैवेन और प्लाइमाउथ), मैसैचुसेट्स (बोस्टन) तथा इलिनॉयं (प्रिटोरिया) हैं।
भारत में भी इस उद्योग की ओर अब ध्यान दिया जाने लगा है और हाल में पूना तथा बंगलोर में घड़ी के कारखाने स्थापित हुए हैं, किंतु अभी उत्पादन की गति अत्यंत मंद है। अधिकांश पुर्जे अमरीका, ब्रिटेन अथवा स्विट्जरलैंड से मँगाने पड़ते हैं। इस कारण इनका निर्माणव्यय अधिक पड़ जाता है। इस दृष्टि से इस उद्योग का संप्रति शैशव है, किंतु भारत सरकार इसे उन्नत बनाने के लिये सचेष्ट है। (सुरेश चंद गौड़)