घटकर्पर यमकालंकार प्रधान २२ श्लोकात्मक काव्य। विरहिणी नायिका द्वारा अपने दूरस्थ नायक को वर्षारंभ में संदेश भेजे जाने का वर्णन इस काव्य का मूल विषय है। इसके रचयिता के विषय में पर्याप्त संशय है। परंपरा में इसको उज्जयिनी नरेश विक्रमादित्य के नवरत्न घटकर्पर की कृति समझते हैं, पर यह मत संगत नहीं जँचता। कालिदास को भी निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं। याकोबी ने इस काव्य को कालिदास से प्राचीनतर माना है।

लेखक की गर्वोक्ति है कि जो यमकालंकार के प्रयोग में इस काव्य का अतिक्रमण करेगा, उसके लिये लेखक घट के टूटे हुए टुकड़ों में पानी भरेगा। इसके कई संस्करण प्रचलित है। इसपर अभिनवगुप्त कृत विवृति प्रकाशित हो चुकी है। (रामांकर भट्टाचार्य)