ग्लैड्स्टन, विलियम एवर्ट (१८०९-१८९८) संसार के महान् राजनीतिज्ञों में इंग्लैंड के प्रधान मंत्री ग्लैड्स्टन की कीर्ति अमिट है। यह महारानी विक्टोरिया के शासनकाल में चार बार इंग्लैड का प्रधान मंत्री नियुक्त हुआ। यह स्काटलैंड का निवासी था और लिवरपूल में इसका जन्म हुआ था। एटन तथा क्राइस्टचर्च कालेज में इसकी शिक्षा दीक्षा हुई थी। केवल २३ वर्ष की आयु में यह कामन्स सभा का सदस्य चुना गया था। इसकी भाषण शैली इतनी चित्ताकर्षक थी कि यह श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। लोककल्याण इसके जीवन का उद्देश्य था, राजनीति इसकी कर्मभूमि थी, यह उसकी ख्याति का साधन नहीं थी। पहले ये ब्रिटिश अनुदारवादी दल का सदस्य था किंतु क्रमश: विचारों में परिवर्तन होता गया और यह उदारवादी दल में सम्मिलित हुआ। इसकी ख्याति एवं सम्मान उदारवादी विचारों के कारण ही हुई। १८४७ में यह कामन्स सभा की सदस्य चुना गया और इसने डिजरैली के बजट की आलोचना की। यह विचारोत्पादक भाषण इसकी ख्याति का पहला सोपान था। यह सन् १८५३ में अर्ल एबरडीन की मंत्रीपरिषद् तथा सन् १८५५ और १८५७ में लार्ड पामर्स्टन की मंत्रिपषिद् में अर्थसचिव नियुक्त हुआ। क्रमश: इसने कामन्स सभा में उदारवादी दल का नेतृत्व ग्रहण किया। आयरलैंड की समस्या गंभीर होती जा रही थी, वहाँ इंग्लैंड विरोधी आंदालन बढ़ता जा रहा था। ग्लैड्स्टन ने दूरदर्शिता से काम लिया और कामन्स सभा में प्रतिकूल वातावरण होते हुए भी, दो बार आयरलैंड के लिये स्वराज्य की माँग के प्रस्ताव रखे। किंतु अनुदारवादियों ने दोनो ही बार इस प्रस्ताव का विरोध कर इसे गिरा दिया। १८९४ में ग्लैड्स्टन ने इस विरोध के कारण अपने पद से त्याग पत्र दे दिया, किंतु अपने अंतिम भाषण में उसने यह चेतावनी दे दी थी कि इंग्लैंड और आयरलैंड की मैत्रीभाव आयरलैंड के स्वराज्य की माँग की पूर्ति में ही संभव है।
ग्लैड्स्टन ने कामन्स में छह बजट पेश किए थे जो अपनी विचारशीलता के लिये स्मरणीय हैं। पार्लमेंट की निर्वाचनपद्धति भी एक विचारणीय विषय था। ग्लैड्स्टन ने पार्लमेंट का तीसरा सुधारनियम स्वीकृत करवाया जिसके अनुसार किसानों और मजदूरों को मतदान का अधिकार दिया गया। ग्लैड्स्टन ने बड़ी सावधानी से अपने तर्क और सुझाव पार्लमेंट में इस प्रस्ताव के पक्ष में रखें। यह प्रस्ताव, जिसे विधेयक का रूप मिला, ग्लैड्स्टन के धैर्य और तर्क का परिचायक है।
मिस्र में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन खड़ा किया गया था, किंतु इस आंदोलन को शांत करके वहाँ पर इंग्लैंड का आधिपत्य स्थापित्य कर दिया गया। सूदान प्रांत में मेहदी नाम के एक मुसलमान नेता ने भयंकर विद्रोह शुरु कर दिया था। ग्लैड्स्टन सूदान के विद्रोह का दमन करने में असफल रहा और अंग्रेजी सेना का लोकप्रिय सेनानी जनरल गोर्डन स्वयं विद्रोहियों के हाथों मारा गया। इस लोकप्रिय सेनानी की मृत्यु से एक प्रचंड वेदना क्षोभ की भावना देश भर में फैल गई। अस्तु ग्लैड्स्टन की शांतिप्रिय नीति से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में ब्रिटेन की बहुत मानहानि हुई, और प्रत्येक प्रश्न पर समझौते से काम लेने की नीति के कारण अन्य देश यह समझने लगे कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में इंग्लैंड दुर्बल हो गया है। अपनी अंतरराष्ट्रीय शांतिप्रिय नीति के कारण ग्लैड्स्टन की सर्वप्रियता कम हो गई।
ग्लैड्स्टन ने अपने प्रधान मंत्रित्वकाल में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में लोककल्याण की दृष्टि से लोकोपयोगी विधेयक स्वीकृत करवाए। ग्लैड्स्टन प्रभावशाली प्रधान मंत्री था। अपने शासनकाल में इसने ऐसे आंदोलन प्रारंभ किए जिससे देश का उन्नयन हुआ और ब्रिटेन प्रजातंत्र की ओर अग्रसर हुआ। (शुभद्रा तेलंग)