गौहाटी स्थिति : २६° ११¢ उ.अ., ९१° ४५¢ पू.दे.। भारतीय गणतंत्र के असम राज्य के कामरूप जिले का, ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित, यह नगर, 'असम का द्वार' कहलाता है। यद्यपि यह नगर का मुख्य भाग दक्षिण में ही है। यह असम का अति प्राचीन नगर है। इसका प्राचीन नाम प्राग्ज्योतिषपुर था और यह महाभारतकालीन राजा भगदत्त की राजधानी था। नीलाचल पहाड़ी पर स्थित यहाँ का कामाख्या मंदिर भी अति प्राचीन है। कहते हैं, इसे नरकासुर ने कामाख्या देवी को प्रसन्न करने के लिये बनवाया था। मिट्टी के नीचे चारों ओर पाए जानेवाले इमारतों के खंडहर तथा ईटों के टुकड़े इस बात के प्रबल साक्षी हैं कि प्राचीन काल में यहाँ, नदी के दोनों किनारों पर एक बड़ा नगर बसा था और उसकी जनसंख्या बहुत अधिक थी, परंतु इसका मध्ययुगीन इतिहास अज्ञात है। १६वीं सदी में यह कोच राज्य में मिला लिया गया था। १७वीं सदी के प्रारंभिक दिनों में यह कभी मुसलमानों तथा कभी अहाम लोगों के अधिकार में रहा। अंतत: १६८१ ई. में मुसलमान यहाँ से भगा दिए गए और गौहाटी निचले असम के अहोम शासक का निवासस्थान बना; परंतु १८वीं सदी के अंत तक यहाँ की गौरवगरिमा एकदम विनष्ट हो गई। १८९७ ई. का भूकंप यहाँ के इतिहास में भयंकर दुर्घटना है। इसमें यहाँ का हर पक्का मकान ध्वस्त हो गया था। १८७८ ई. में यहाँ नगरपालिका स्थापित हुई।
गौहाटी अत्यंत मनोरम क्षेत्र में स्थित है। दक्षिण में घने वनों से ढकी अर्धचंद्राकार पहाड़ियाँ हैं और सामने ब्रह्मपुत्र नदी, जो वर्षा के दिनों में एक मील चौड़ी हो जाती है। इसमें एक चट्टानी द्वीप है। उत्तर में फिर नीची पहाड़ियाँ हैं, परंतु यहाँ की स्थिति स्वास्थ्यप्रद नहीं है। इसी कारण किसी समय यहाँ पर मृत्युसंख्या बहुत अधिक हो गई थी। अब जलप्रवाह में सुधार तथा शुद्ध पेय जल की प्राप्ति के कारण दशा काफी अच्छी हो गई है। पहाड़ियों से घिरे होने के कारण तथा अपेक्षाकृत कम वर्षा (६७¢ ¢ ) से ग्रीष्म ऋतु मनोहर नहीं रहती।
गौहाटी असम राज्य का सबसे बड़ा नगर और शिक्षा तथा व्यापार का केंद्र है। गौहाटी विश्वविद्यालय यहीं पर है। यहाँ हवाई अड्डा, पूर्वोत्तर रेलवे स्टेशन तथा नदी का बंदरगाह है। चाय, चावल, रुई, जूट, लाख तथा तेलहन यहाँ की मुख्य व्यापारिक वस्तुएँ हैं। रुई से बिनौले अलग करना, चाय की पत्ती तैयार करना तथा साबुन बनाना यहाँ के उल्लेखनीय उद्योग हैं। यहाँ की जनसंख्या १,००,७०७ (१९६१) है। (शिवमंगल सिंह)