गैल्वानी, लुइगी (Galvani, Luigi, सन् १७३७-१७९८) इटली के शरीर-क्रिया-वैज्ञानिक का जन्म बोलोन नगर में ९ सितंबर, १७३७ को हुआ। सन् १७६२ में बोलोन में इनकी नियुक्ति शरीर-रचना-विज्ञान के व्याख्याता पद पर हुई। उक्त पद पर कार्य करते हुए इन्होंने कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए।

इन्होंने पक्षियों के श्रवणांगों एवं प्रजनन-मूत्र-मार्ग पर विशेष कार्य किया। मरे हुए मेढ़क को ताँबे के तार द्वारा लोहे की जाली पर लटकाने से उसकी मांसपेशियों में स्फुरण होने के अनेक मनोरंजक प्रयोग किए। किन्हीं दो धातुओं का प्रयोग किया गया, लेकिन तांबा एवँ जस्ता धातुओं के तार अधिक अच्छे पाए गए। गैल्वानी ने इसे 'प्राणिविद्युत्' की संज्ञा दी। उनके विचार में मांसपेशियों के स्फुरण का कारण दो विरुद्ध विद्युदावेशों का मिलन था। इन्होंने मेढ़क को एक प्राकृतिक आवेशयुक्त लीडन जार के समान समझा। यद्यपि इनके ये निष्कर्ष दोषपूर्ण थे, फिर भी ये प्रयोग महत्वपूर्ण रहे। प्रारंभिक सेल, जिसे आगे चलकर वोल्टा ने विकसित किया, इसी सिद्धांत पर बना। आज भी इसीलिये, गैल्वानी का नाम, गैल्वानोमीटर, गैल्वानिक विद्युद्धारा एवं गैल्वानाइज़िंग के साथ जुड़ा हुआ है।

बोलोन शहर की विज्ञान अकादमी ने सन् १८४१-४२ में प्रोफेसर गैल्वानी के महत्वपूर्ण कार्यों की एक पुस्तिका प्रकाशित की।

गैल्वानी की मृत्यु बोलोन नगर में ही ४ दिसंबर, १७९८ ई. को हुई। (अंबिका प्रसाद सक्सेना)