गेल्सटेड ईनर, ओटो डेनिश कवि। इनका जन्म मिडेलफ़ार्ट नामक स्थान में ४ नवंबर, १८८८ को हुआ था। साहित्य और कला की समीक्षाओं में गेल्सटेड की प्रारंभ से ही अभिरूचि थी जिसका कारण उनका क्लासिक साहित्य की शिक्षा और सौंदर्यशास्त्र (Aesthetics) की ओर प्रवृत्ति थी। उन्होंने यूरोप के अनेक कलाकारों (विशेषत: स्कैंदिनेवियाई) की कृतियों की समीक्षाएं लिखी हैं और काव्य की दिशा में महत्वपूर्ण रचनाएँ की हैं।
वे आधुनिक डेनिश काव्य के सबसे महान कवि माने जाते हैं। उनकी प्रारंभिक रचनाओं में जहाँ डेनिश गोचारण भूमि (Pastoral Scenes) का प्राकृतिक अभिचित्रण पाया जाता है, आगे चलकार वे रचनाएँ अधिक से अधिक जनवादी हो गई। गेल्सटेड की इन प्रगति संपन्न रचनाओं में डार्विन और लेनिन के प्रभाव परिलक्षित होते हैं।
गेल्सटेड के निबंध अत्यंत उच्च कोटि के हैं। उनमें यूरोपीय समीक्षा शास्त्र के प्रचलित व्यापक आदर्शों का सूक्ष्म विश्लेषण पाया जाता है। उन्होंने उत्तरी यूरोप के साहित्यिक आंदोलनों और कलासमीक्षाओं में सक्रिय भाग लिया और विख्यात आलोचक आई. ए. रिचर्ड्स एवं बेलिंस्की की तरह साहित्य समीक्षा को उच्च भूमि पर प्रतिष्ठित किया।
क्लासिक परंपरा की व्यापक अनुभूतियों के कारण उन्होंने कई प्राचीन ग्रंथों का भाषांतर भी किया जिनमें एकिलस के भाषांतर अत्यंत लोकप्रिय हैं।
गेल्सटेड की कुछ मौलिक रचनाएँ हैं: ‘दे एविगे तिंग’ (१९२०), ‘फ्राइहेदेंस आर’ (१९४७), दिग्ते (१९२४)।
सं. ग्रं.-सी. एस. पीटर्सन ऐंड वी. ऐंडर्सन : ‘इलस्त्ररैत डैस्क लिटरेचर हिस्तोरिया’ (४ खंड,१९२४-३४); कैसेल : ‘इंसाइक्लोपीडिया ऑव लिटरेचर’, एस. एच. स्टाइनबर्ग द्वारा संपादित (लंदन, १९५३); एडमंड डब्ल्यू. गॉस : ‘स्टडीज़ इन द लिटरेचर ऑव नार्दर्न यूरोप’ (१८७९); ‘दि आक्सफ़ोर्ड बुक ऑव स्कैडिनेवियन वर्स’, एडमंड गॉस एवं डब्ल्यू. ए. क्रेग (१९२५); के. एम. बूराल : डैस्क फैटर लेक्सिकान (१९४५)। (चंद्रचूड़ मणि.)