गेलुसाक, लुई जॉसेफ (१७७८-१८५०) रसायनज्ञ और भौमिकीवेत्ता। इनका जन्म ६ दिसंबर, १७७८ ई. को सेंट लेओनार्ड (ऑट व्येन) में हुआ। ये पॉलिटेक्नीक स्कूल में १७९७ ई. में भरती हुए। १८०१ ई. में इनकी पदवृद्धि हुई और पौंटसएट चौसीस में इनकी नियुक्ति हुई।

थोड़े दिनों बाद ही बरथोले नामक प्रसिद्ध रसायनज्ञ ने इन्हें रसायनशास्त्र में अपना सहकारी बना लिया। इस समय इन्होंने अपना प्रमुख अनुसंधान कार्य आरंभ किया। इनकी गवेषणाओं के क्षेत्र ये थे: गैसों का प्रसारण, वाष्पदाब, तापमापियों और दाबमापियों में सुधार, वाष्पघनत्व, क्लेदमिति, उद्ववाष्पन, केशिकाप्रभाव आदि। गेलूसाक ने प्रसिद्ध भौतिकीवेत्ता बायो (Biot) की सहकारिता में, और बाद में अकेले भी दो बार गुब्बारे अंतरिक्ष में ऊपर उड़ाए। उड़ाने का उद्देश्य यह पता लगाना था कि ऊपर किस प्रकार का ताप और वायु में कितनी नमी है। भूचुंबकत्व की भी वे परीक्षा करना चाहते थे। अलेक्जैंडर वॉन हंबोल्ट (Humboldt) के साथ उन्होंने उस वायु का भी विश्लेषण किया जो २३,००० फुट ऊपर से भरकर नीचे लाई गई थी। हंबोल्ट और गेलूसाक ने सर्वप्रथम १५ अक्टूबर, १८०४ ई. को सायंस अकादमी में इस बात की सार्वजनिक घोषणा की कि एक आयतन ऑक्सिजन और दो आयतन हाइड्रोजन परस्पर संयुक्त होकर पानी बनाते हैं। इस फल से प्रोत्साहित होकर उन्होंने गैसों के संयोग पर भी प्रयोग आरंभ किए। इन प्रयोगों के फलस्वरूप उन्होंने १८०८ ई. में अपना गैसों के संयोग का आयतन संबंधी प्रसिद्ध नियम प्रतिपादित किया। एक वर्ष बाद गेलूसाक की नियुक्ति पॉलिटेक्नीक स्कूल के रसायन के प्राध्यापक के पद पर हुई और १८३२ ई. से उन्होंने जॉर्दे दे प्लाँत में भी प्रध्यापक पद को सुशेभित किया। डेवी ने इन्हीं दिनों विद्युद्धारा के विभाजन प्रभाव द्वारा पोटासियम और सोडियम धातुएँ प्राप्त की थीं। इससे प्रोत्साहित होकर थेनार्ड और गेलूसाक ने भी इस क्षेत्र में काम आरंभ किया। गेलूसाक ने विशुद्ध रासायनिक विधि द्वारा पोटासियम पृथक करने में सफलता प्राप्त की। बोरिक अम्ल से उसने बोरॉन तत्व भी पृथक् किया। गेलूसाक ने कार्बनिक यौगिकों के विश्लेषण की विधियों को भी परिष्कृत किया। यद्यपि आयोडीन की खोज तो कुर्तुआ (Courtois) ने की थी, तथापि गेलूसाक और डेवी ने आयोडीन के गुणों की परीक्षा की और सिद्ध किया कि यह एक तत्व है। गेलूसाक ने सर्वप्रथम हाइड्रियॉडिक अम्ल और आयोडिक अम्ल बनाए। १८१५ ई. में गेलूसाक ने सायनोजन मूलक पृथक् करने में सफलता प्राप्त की। यौगिक मूलक का यह सर्वप्रथम उदाहरण था। लीबिंग के साथ गेलूसाक ने फ़लमिनिक अम्ल परीक्षा की।

गेलूसाक का ध्यान धीरे धीरे उद्योग रसायन की ओर भी गया। सलफ्यूरिक अम्ल के व्यापार में इनके नाम का स्तंभ (गेलूसाक टॉवर) आज तक प्रसिद्ध है। इन्होंने विरंजन चूर्ण पर भी काम किया। रजत अनुमापन और परिमापन में नमक के विलयन का उपयोग इन्होंने सर्वप्रथम बताया। व्यापार मंत्रालय में भी गेलूसाक ने कार्य किया। शोरे के गोलाबारूद तैयार करने वाले सरकारी कारखाने में गेलूसाक की सेवाएँ महत्व की मानी गईं । १८२९ ई. में फ्रांस के मुद्रा-निर्माण-भवन में गेलूसाक प्रधान विश्लेषक बने। १८३९ ई. में ये फ्रांस के पीअर (Peer) बनाये गए। फ्रांस की रसायन अनुसंधान पत्रिका के संपादक भी रहे। पैरिस में ९ मई, १८५० ई. को उनका देहावसान हुआ। (सत्यप्रकााश.)