गुस्ताउस (प्रथम) (१४९६-१५६० ई.) स्वीडेन नरेश जिन्होंने डेनमार्क की पराधीनता से अपनी जनता को मुक्त कराया। उनका जन्म लिंडहोम में १२ जून, १४९६ को हुआ था। स्वीडेन के ज्येष्ठ रीजेन्ह स्टेन स्तूरे उनके शिक्षक थे। लिकपिंग के पादरी द्वारा घर पर शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें उपसाला विश्वविद्यालय में दाखिल किया गया। १५१६ में वह अतिथि के रूप में डेनमार्क गए जहाँ चार्ल्स (द्वितीय) ने धोखे से उन्हें बंदी बना लिया। वह उनकी कैद से भाग निकले और स्वीडेन पहुँचे। वहाँ पहुँचते ही स्टाकहोम के हत्याकांड की खबर मिली। वहाँ उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। अपने पिता की हत्या का बदला लेने का दृढ़ निश्चय कर उन्होंने स्काटलैंड के किसानों को उभाड़ा। किंतु सफलता नहीं मिली। बाद में दक्षिणी स्वीडेन की जनता ने उनके नेतृत्व में डेनमार्क को हराने में सफलता प्राप्त की। ६ जून, १५२३ को स्टागनाश में सिनेट ने उन्हें स्वीडेन का राजा चुना।
उनके शासनकाल में स्वीडेन के पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बने रहे और उन्होंने स्वीडेन को संयुक्त तथा शक्तिशाली राज्य बनाकर बाहरी आधिपत्य से मुक्तकिया। व्यापार और उद्योग की उन्नति कर स्वीडेन की आर्थिक अवस्था एवं शासनव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया। अपने महान प्रयत्नों के कारण गुस्ताउस (प्रथम) स्वीडेन की स्वतत्रंता के संस्थापक कहे जाते हैं। २० सितंबर, १५६० को स्टाकहोम में उनकी मृत्यु हो गई।
उनका व्यक्तित्व बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। वह बहुत पढ़े लिखे तो नहीं थे परंतु बड़ी सूझबूझ तथा विचारों के धनी शासक थे। उनकी स्मरणशक्ति अच्छी थी और वह बहुत परिश्रमी थे। वह श्रद्धा संपन्न व्यक्ति थे, उनका नैतिक जीवन बड़ा पवित्र था।