गुलेरी, चंद्रधर शर्मा (१८८३-१९२० ई०) हिंदी के प्रख्यात कहानी एवं निबंधकार। आरंभ में आप अजमेर के मेयो कालेज में अध्यापक रहे तदनंतर काशी विश्वविद्यालय में संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाध्यापक बने। आप संस्कृत के प्रकांड पंडित और अँगरेजी के अच्छे जानकार थे। आपने कुल तीन ही कहानियाँ लिखी थीं। पहली कहानी सुखमय जीवन १९११ ई. में भारत मित्र में छपी थी। इसके चार वर्ष बाद १९१५ में आपकी सुविख्यात कहानी उसने कहा था सरस्वती में प्रकाशित हुई। यह कहानी हिंदी कहानी की शिल्प विधि तथा विषयवस्तु के विकास की दृष्टि से एक खूँट कही जाती है। इसमें प्राकृत वातावरण में प्रेम के सूक्षम एवं उदात्त स्वरूप की मार्मिक अभिव्यक्ति है। आपकी तीसरी कहानी है बुद्धू का काँटा। निबंधकार के रूप में आपकी अपनी एक विशिष्ट शैली थी। पांडित्यपूर्ण हास तथा अर्थगत वक्रता उनकी विशेषता है। आपने जयपुर से १९०० ई. में समालोचक नामक पत्र का भी संपादन किया था। आपकी मृत्यु १९२० ई. में हुई।

(परमश्वेरीलाल गुप्त)