गुल सुमेरी देवता निनुर्ता की पत्नी और चिकित्साशास्त्र की अधिष्ठातृ देवी। प्राचीन अक्कादी में गुल का अर्थ चिकित्सक होता था; साधारण अरबी नामों के अंत में जो गुल शब्द लगा होता है, वह चिकित्सा संबंधी विशेषज्ञ का ही परिचायक है, यद्यपि कालांतर में यह शब्द नाम का निरर्थक अंग मात्र होकर रह गया था। स्वयं देवी गुला को वहाँ महान् चिकित्सक की संज्ञा दी गई थी। बाबिलोनिया के प्राचीन नगरों-लगाश और निप्पुर-में तो गुला की पूजा होती ही थी, ईसिन नगर में भी उसकी पूजा का प्राधान्य था। बोर्सिपा में तो उसके तीन तीन मंदिर बने। बाबिलोनिया के सीमापत्थरों पर उसकी आकृति के साथ कुत्ते की आकृति भी बनी मिलती है। प्राचीन बाबुल में सर्पविष के विशेषज्ञ चिकित्सक गुल कहलाते थे और साँप से डसे व्यक्ति का उपचार मंत्र द्वारा करते थे। उन मंत्रों का सीधा संबंध इसी गुला नाम की देवी से हुआ करता था। यह महत्व का विषय है कि साँप का विष झाड़ने के ही प्रसंग में ऋग्वेद-अथर्ववेद में जिस आलिगी च विलगी च पिता च माता च आदिक मंत्र का उपयोग हुआ है उसमें उर गुलाया: दुहिता उर की गुला (अथवा गुल) की पुत्री का उल्लेख हुआ है। (भ. श. उ.)