गुत्स्को, कार्ल (१८११-१८७८ ई.) जर्मन साहित्यकार। इनका जन्म एक निर्धन परिवार में हुआ था। लेकिन उनमें प्रतिभा और महत्वाकांक्षा थी। साहित्यजगत में सफलता प्राप्त करने का उन्होंने निश्चय कर लिया था। जर्मनी के प्रगतिशील विचारोंवाले युवक लेखकों के ये नेता हो गए। १८३५ ई. में उनका उपन्यास वैली दि डाउटर छपा जिसके माध्यम से इन्होंने बड़े साहस के साथ जीवन की भैतिक आवश्यकताओं पर बल दिया। इस पुस्तक की तीव्र आलोचना हुई और अनैतिकता के दोष का तर्क देकर तत्कालीन शासन ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। गुत्स्कों को भी जेल की सजा हुई। एक दूसरा उपन्यास नेबेनियांद ईरा (Nebeneind era) में उन्होंने जर्मनी के तत्कालीन सामाजिक जीवन का बड़ा व्यापक चित्र प्रस्तुत किया है। इन्होंने नाटक भी लिखे। वील ए कोस्ता (Weil a Costa) में इन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की आवाज उठाई है। इनका एक उपन्यास द नाइटस ऑव द स्पिरिट है जिसमें राजनीतिक शक्ति के प्रश्न का विवेचन है। (तुलसीनारायण सिंह)