गुड़गाँव हरियाणा का जनपद जिसके उत्तर में यमुना रोहतक एवं दिल्ली क्षेत्र को अलग करती है (स्थिति : २७० ३९’ २०' से २८० ३२’ २५' उ. अ. तथा ७६० १८’ ३०' से ७०० ३२’ ५०' पू. दे.)। इसका क्षेत्रफल २,३६७ वर्ग मील है। दक्षिण में उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के क्षेत्र तथा पश्चिम में महेंद्रगढ़ एवं रोहतक हैं।
जनपद का पूर्वी क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र की अपेक्षा नीचा हैं। बल्लभगढ़ तहसील में बहुत सी नदियाँ एवं पहाड़ी नाले बहते हैं। मिट्टी तथा धरातल की दृष्टि से जिले के चार प्रमुख भाग हो सकते हैं-१. खादर, जो यमुना के तटवर्ती क्षेत्र में अत्यंत उपजाऊ भाग हैं; २. बाँगर, जो खादर से अपेक्षाकृत ऊँचा और अधिकांशत: नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र है; ३. पर्वतीय भूमि जिसमें अरावली की विदीर्ण श्रेणियाँ फैली है तथा जिसमें काली पहाड़ी एवं टँकरी (२,००० फुट ऊँची) पहाड़ी प्रमुख हैं और ४. डाबर क्षेत्र जहाँ वर्षा ऋतु में पानी लग जाता है फलत: मलेरियाग्रस्त रहता है।
पंजाब के मैदानी जिलों की अपेक्षा गुड़गाँव धरातलीय वैषम्य के कारण आकर्षक लगता है। यहाँ केवल यमुना ही सततवाहिनी नदी है जो सीमांत पर बहती है। पश्चिमी यमुना तथा आगरा नहरों के निर्माण के कारण जाड़े में यमुना में भी पानी बहुत कम रह जाता है। आगरा नहर नूह, बल्लभगढ़, पलवल एवं फीरोजपुर झिरका के कुछ भागों को सींचती हुई आगरा की ओर चली जाती है। यमुना के अतिरिक्त साहिबी नदी से भी सिंचाई के लिए जल मिलता है। अन्य नदियों में कंसावती तथा इंदौरी प्रमुख हैं। जिले में कई विशाल झीलें है जिनमें खलीलपुर (१,५०० एकड़), चाँदनी (१,००० एकड़), कोटला (जो वर्षा ऋतु में तीन मील लंबी तथा ढाई मील चौड़ी हो जाती है), संगेल-उजिना, सरमिथला आदि प्रसिद्ध हैं।
भूतत्वीय दृष्टि से मैदानी भाग केवाल मिट्टी द्वारा निर्मित है किंतु अरावली का पहाड़ी अंश स्लेट, चूना-पत्थर, क्वार्टजाइट, आदि चट्टानों से बना है। भूमि में चूना तथा कंकड़ खूब मिलते हैं। जलवायु समशीतोष्ण है लेकिन पहाड़ियों के पास गर्मी अधिक पड़ती हैं। निचले तथा नहरी भागों में बाढ़ के कारण मलेरिया का प्रकोप रहता है। औसत वार्षिक वर्षा २४.४७' और उसका वितरण पूर्व से पश्चिम घटता जाता है। जिले में रबी एवं खरीफ फसलें प्रमुख हैं।
जिले में कई उद्योग धंधे विकसित हैं। फरीदाबाद प्रमुख औद्योगिक केंद्र हो गया है। रेवाड़ी में धातु के बरतन, नूह एवं फारूखनगर में छुरीकैंची, फिरोजपुर-झिरका में लोहे के सामान, सोहना में चूड़ियाँ, हसनपुर में दरी, गलीचे, कंबल आदि, होदाल एवं पलवल में कपास की लुढ़ाई, लकड़ी के उद्योग तथा सूती वस्रोद्योग विकसित हैं।
फरीदाबाद, गुड़गाँव, रेवाड़ी, पलवल बड़े नगर तथा होदाल, बल्लभगढ़, सोहना, बावल, फीरोजपु-झिरका, फारूखनगर, पटौदी, नूह तथा हेली मंडी छोटे व्यापारिक कस्बे हैं। प्रशासनिक सुविधा के लिए जनपद छ: तहसीलों में बँटा है।
२. हरियाणा का गुड़गाँव जनपद तथा तहसील का प्रधान नगर (स्थिति : २८० २९’ उ. अ. तथा ७७० २’ पू. दे.) है। यह राजस्थान-मालवा-रेलमार्ग पर स्थित गुड़गाँव स्टेशन से तीन मील दूर स्थित है। यह प्राचीन नगर है जिसका नाम संभवत: महाभारत कालीन इतिहास से संबंधित है। इसका तत्कालीन नाम गुरुग्राम था जो बोलचाल द्वारा बिगड़कर गुड़गाँव हो गया है। पांडवराज युधिष्ठिर ने संभवत: अपने गुरु द्रोणाचार्य को यह अथवा समीपवर्ती क्षेत्र गुरुदक्षिणा में दिए थे। अन्य किंवदंती के अनुसार पांडवों और कौरवों के यहीं गुरु द्रोणाचार्य ने शस्रविद्या में प्रशिक्षित किया था। समीप में ही स्थित गुड़गाँव मसानी एक गाँव है जहाँ शीतला देवी का मंदिर है। यहाँ प्रति वर्ष बृहत् मेला लगता है। गुड़गाँव में जनपदीय स्तर के प्रशासनिक कार्यालय, कचहरियाँ तथा एक स्नातक महाविद्यालय एवं अन्य सांस्कृतिक संस्थाएँ हैं। (काशीनाथ सिंह)