गुआरियेंतो चौदहवीं सदी का इतालवी चित्रकार जिसने अपने नगर पादुआ में अनेक चित्र बनाए थे जो अधिकतर नष्ट हो गए। गुआरियेंतो की विशेषता यह है कि जोत्तो के प्रभाव में आकर उसने बिजांतीनी परंपरा से अपने चित्रों को मुक्त कर दिया। उसके भित्तिचित्रों में से कुछ की रक्षा कन्वस पर उनकी नकल करके कर ली गई हैं, जिनमें से प्रसिद्ध चित्र स्वर्ग आज भी दोजे के महल में सुरक्षित है। गुआरियेंतो १३७० के लगभग मरा। (पद्मा उपाध्याय)