गिल्बर्ट, सर जोसेफ़ हेनरी (१८१८-१९०१) अँगरेज रसायनज्ञ। इनका जन्म हल (Hull) नामक स्थान में २ अगस्त, १८१७ को हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा पहले ग्लास्गों और फिर लंदन में हुई। बाद में ये जर्मन वैज्ञानिक लीबिख के यहाँ गीसेन भी गए। सन् १८६०. में इन्हें एफ. आर. एस. की उपाधि मिली। सन् १८८४ में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रूरल इकॉनोमी के प्रोफेसर हुए।

गिलबर्ट का नाम लाज़ के नाम के साथ स्मरण किया जाता है। लाज़ ने इनके सहयोग से सन् १८४३ में रॉथैम्स्टेड के प्रायोगिक केंद्र (Rothanmsted Experimental Station) की स्थापना की थी। तब से आज तक अबाध गति से उनके प्रचारित प्रयोग चालू हैं। ये प्रयोग मिट्टी की उर्वरता, उर्वरकों के सफल प्रयोग एवं पौधों द्वारा निकाले गए जल की मात्रा से संबंधित हैं।

जिन दिनों गिल्बर्ट ने लाज़ के सुझाव पर राथैम्स्टेड में कृषि विज्ञान पर कार्य प्रारंभ किया, जर्मनी में लीबिख का बोलबाला था। उनके खनिज सिद्धांत (Mineral Theory) ने उर्वरकों के उपयोग एवं निर्माण में एक नवीन क्रांति ला दी थी। गिल्बर्ट ने नाइट्रोजन एवं फास्फेट द्वारा मिट्टियों की उर्वरता संबंधी लीबिख की अनेक मान्यताओं को राथैम्स्टेड में दोहराया और उनमें से कई को असत्य भी सिद्ध किया। इन समस्त प्रयोगों का विवरण उन शोध निबंधों में मिलता है जिन्हें १० भागों में राथैम्स्टेड मेम्वॉयर्स (Rothamsted Memoirs) के नाम से संकलित कर दिया गया है। इन प्रयोगों की विस्तृत विवेचना ए. डी. हाल द्वारा लिखित पुस्तक द बुक ऑव राथैम्स्टेड एक्सपेरिमेंटस (The Book of Rothamsted Experiments) में भी मिलती है। इन प्रयोगो की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

  1. फसलों को फास्फेटीय तथा क्षारीय लवणों की आवश्यकता पड़ती है, परंतु लीबिख द्वारा प्रचारित राख की संरचना से इनकी आवश्यकता की पूरी पूरी जानकारी नहीं हो पाती।
  2. आदालीय फसलों (non-leguminous crops) को नाइट्रोजनीय यौगिकों की आवश्यकता पड़ती है। बिना इन यौगिकों के फसलों का समुचित विकास नहीं हो पाता। वायुमंडल में वर्तमान ऐमोनिया इतनी अल्प मात्रा में है कि उससे फसलों की नाइट्रोजन पूर्ति असंभव है।
  3. कृत्रिम उर्वरकों द्वारा भूमि की उर्वरता को स्थित रखा जा सकता है, भले ही वह कुछ वर्षों के लिए हो ।
  4. परती डालने से भूमि में नाइट्रोजन यौगिक अधिकाधिक उपलब्ध होते हैं। यही कारण कि परती रखने के बाद भूमि में अच्छी फसलें होती हैं।

२३ दिसंबर, १९०१ ई. को गिलबर्ट की मृत्यु हार्पडेन (हर्ट्ज) में हुई।

सं. ग्रं.-ए. वी. हॉवर्ड: चैंबर्स डिक्शनरी ऑव साइंटिस्ट्स (१९५२)। (शिवगोपाल मिश्र)