गिलोय यह गुडूची कुल (मेनिस्पर्मेसिई Menispermaceae) की टिनोस्पोरा कॉडिर्फोलिया (Tinospora Cordyfolia) नामक लता जाति की आरोही वनस्पति है, जो तिक्त ज्वरनाशक वनौषधि के रूप में लोकप्रसिद्ध है। इसे गुडूची (संस्कृत), गुरूच, गुडुच या गिलोय (हिंदी), गुलंच (बँगला) अथवा गुलवेल (मराठी) कहते हैं। यह बहुवर्षायु, मांसल और ऊँचे वृक्षों पर चढ़नेवाली लता है। इसके पत्र एकांतर, मसृण और हृदयाकृति तथाफूल छोटे, पीले रंग के और गुच्छों में निकलते हैं। फल पकने पर मटर के बराबर, गोल और लाल रंग के होते हैं। कांड की अंतस्त्वचा हरे रंग की और मांसल होती है। ग्रीष्म ऋतु में, वर्षा के पूर्व, इसका संग्रह होता है, परंतु चिकित्सा में ताजी गिलोय का प्रयोग अच्छा समझा जाता है। इसमें तिक्त ग्लुकोसाइड और दारूहारिद्रिक (Berberine) अत्यल्प प्रमाण में और स्टार्च प्रचुर मात्रा में होता है।
इसे कटुपौष्टिक, दीपक, पित्तसारक, संग्राहक, त्वग्रोगहर, मूत्रजनक और ज्वरघ्न माना जाता है। इसलिए ज्वर, जीर्ण अतिसार एवं रक्ततिसार, अम्लपित्त, सूजाक, प्रमेह तथा कुष्ठादि त्वचा के रोगों में किसी न किसी रूप में इसके कांड का अथवा इससे निकले हुए स्टार्च (गुडूचीसत्व) का, प्रयोग होता है। (ब. सिं.)