गिरधरदास (१८३३-१८६०)। भारतेदु हरिश्चंद्र के पिता और ब्रजभाषा के कवि। इनका मूल नाम गोपालचंद्र था; रचनाएँ गिरधरदास अथवा गिरधर नाम से करते थे। इनकी रचनाओं की संख्या चालीस कही जाती है। जरासंध वध, भारती भूषण, बलराम कथामृत, बुद्ध कथामृत, नहुष नाटक आदि मुख्य हैं। इनकी रचनाओं पर भक्ति काव्य परंपरा और रीतिकाव्य परंपरा दोनों का प्रभाव है। इनका नहुष नाटक हिंदी का प्रथम नाटक समझा जाता है। (परमेश्वरीलाल गुप्तु.)