गिनी अफ्रीका के पश्चिमी भाग में इसी नाम की खाड़ी पर स्थित प्रदेश जो पालमास अंतरीप से गाबुन एश्चुअरी (Gabun Estuary) तक फैला प्रदेश (स्थिति : १०० २०’ उ. अ.; १२० पू. दे.)। गोम्स अजुरारा (Gomes Azurara) नामक पुर्तगाली इतिहासकार के अनुसार इसका फैलाव नन अंतरीप से लेकर सेनेगल तक १३० उ. अ. से १६० द. अ. तक था। प्रदेश नाइजर की घाटी के एक प्राचीन प्रसिद्ध नगर जेने (Djenne) से संबंधित प्रतीत होता है। इस प्रदेश के अन्वेषण के विषय में भिन्न तिथियाँ तथा मत प्रचलित हैं। १२७० ई. में लैन्सलाट मैलोसेलो (Lancelot Malocello) नामक जिनोआ वासी के कनारी द्वीप तक पहुँचने का अनुमान है। १०४६ ई. में कैटालन अभियान (Catalan expedition) सुवर्ण नदी की खोज में हुआ पर उसका कुछ पता न चला। १५वीं शताब्दी तक संपूर्ण गिनीतट यूरोपवासियों को ज्ञात हो चुका था।
इस प्रदेश की धरातलीय बनावट तट पर मैदानी तथा अंतर्वर्ती भाग में पर्वतीय है। प्रमुख नदी नाइजर ही है। उष्ण कटिबंध में होने के कारण जलवायु प्राय: गर्म और तर है, ताप ३८० सें. तक पहुँच जाता है जो तट पर ३२० सें. तक ही सीमित रहता है। वर्षा की मात्रा भिन्न भिन्न भागों में भिन्न है। साधारणतया २० से १५० के बीच वर्षा होती है। कैमरून की पर्वतीय तलहटियों में ३५० सें. तक वर्षा होती है। वर्षाकाल उत्तरी भाग में अप्रैल से सितंबर तक तथा दक्षिणी भाग में मार्च से नवंबर तक है।
प्राचीन काल में प्रमुख उत्पादन की दृष्टि से तटीय भाग कई उपविभागों में विभक्त था जो अब भी अपना तटीय नाम रखते हैं। ग्रीन कोस्ट ४०० मील लंबा तट का सियरा लियोन से पालमास अंतरीप तक, जो पीपर और मिर्च के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था, आइवरी तट (Ivory Coast) जो हाथीदाँत के लिए प्रसिद्ध था, पालमास अंतरीप से ३० प. द. तक फैला है। इसके पूर्व गाबून एस्चुअरी तक का तट क्रमश: गोल्ड कोस्ट और स्लेव कोस्ट कहा जाता है। गिनी प्रदेश की प्रमुख पैदावार धान, मक्का, कसावा, केला, नारियल, मूँगफली, ज्वार, बाजरा आदि हैं। और खनिज पदार्थों में सोना, घाना और इचारी तट पर कोयला और टिन नाइजीरिया में पाए जाते हैं। प्रशासकीय दृष्टि से यह पुर्तगाल के अधीन है। घाना, सियरा लियोन, लाइबेरिया, आइवरी कोस्ट, टोगोलैंड, नाइजीरिया और कैमरून के राज्यों के भाग सम्मिलित हैं। प्रमुख नगर घाना (१,३५,९२६) इबादान (५,००,०००), लागोस (३,५०,०००), फ्रीटाउन (१,००,०००) अबीदजान (१,२०,०००) हैं।
(कैलाानाथ सिंह)